पिंपरी-कोरोना लॉकडाउन के काल में पुणे रेलवे विभाग में विभिन्न विभागों में ठेका से काम करने वाले 250 कामगारों को काम से ब्रेक दिया गया था। लेकिन अब लाउकडाउन काल समाप्त होने और ट्रेने शुुरु होने के बावजूद भी ठेकेदार कंपनी कामगारों को काम पर नहीं बुला रही। साथ ही जुलाई महिने से लेकर अब तक वेतन नहीं दी। कामगार और उनका परिवार भूखमरी के संकट से जूझ रहा है। इन्हीं कारणों को लेकर पिछले दो दिनों से रेलवे ठेका कामगारों ने डीआरएम कार्यालय के सामने भूख हडताल पर बैठे है। डीआरएम रेणू शर्मा से गुहार लगा रहे कि इस गंभीर समस्या पर हस्तक्षेप करके ठेकेदार कंपनी को निर्देश दें कि उनको काम पर वापस बुलाए।
कामगार ट्रेनों के एसी अटेंडेट,ट्रेनों की सफाई, यार्ड में ट्रेनों की धूलाई समेत कई काम करते थे। एसआरटीएमयू संगठन के बैनर तले कामगार भूख हडताल कर रहे है। गुडगांव की ए टू जेड इन्फ्रा. लि. नामक ठेका कंपनी के ये कामगार है जो आज भूखमरी की कगार पर पहुंच चुके है। हर दिन श्रंखलाबद्ध 10 कामगार प्रतिदिन अनशन कर रहा है। अनशन का आज दूसरा दिन है। इसके बाद सामूहिक अनशन किया जाएगा। ऐसी जानकारी युनियन संगठन के पदाधिकारी संदीप गायकवाड और पवन कुमार ने हमारे संवाददाता को दी। इस बारे में पुणे रेल मंडल के डीआरएम रेणू शर्मा को 4 दिसंबर के दिन अपनी समस्याओं से अवगत कराए थे। उस समय डीआरएम ने हल निकालने का आश्वासन दी थी। लेकिन ठेकेदार अभी तक उनको काम पर वापस नहीं बुलाया। ठेका कंपनी का पुणे ब्रांच इंचार्ज राजेश शेट्टी का कहना है कि कोरोना काल में ट्रेनें बंद थी। रेलवे की ओर से उनको ही भूगतान नहीं हुआ्। कामगार घर में बैठे थे तो कहां से वेतन देंगे। रहा सवाल एसी कोच में अटेंडेट कामगारों का तो अभी तक रेलवे प्रशासन की ओर से यात्रियों को तकिया,चादर आवंटन की सुविधा बंद है। यात्री अपना खुद का चादर तकिया लेकर आते है।
कामगारों का मानना है कि मैकनिकल हेल्पर के रुप में काम दिया जा सकता है। ट्रेनें अब लगभग सभी शुरु हो चुकी है। साफ सफाई कर्मचारियों को वापस बुलाया जाना चाहिए्। लेकिन पुराने कामगारों को वापस न बुलाकर नए लोगों को काम पर रखा जा रहा है। डीआरम से भूख हडताल पर बैठे कामगारों ने अपील की है कि वे और उनका परिवार भूखमरी के कगार पर खडा है। सहानुभूति दिखाकर हस्तक्षेप करें और ठेका कंपनी को कामगारों को वापस काम पर बुलाने का निर्देश जारी करे्ं।