पिंपरी- महाराष्ट्र में बाल गुनाहगारी के प्रमाण अन्य राज्यों की तुलना में काफी ज्यादा है। विभिन्न सर्वेक्षण में यह बात निकलकर सामने आयी है कि महाराष्ट्र इस मामले में नंबर वन पर है। पालक अपने पाल्यों को घर परिवार का अच्छा माहौल देकर गुनाहगारी होने से बचा सकते है। अधिकांश बाल अपराधी अनाथ होते है। 99 फीसदी गुनाहगार पुरुष होते है। समय रहते पालकों को अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए और गुनाहगार होने से बचाना चाहिए। ऐसा मनोगत पुलिस आयुक्त कृष्ण प्रकाश ने व्यक्त किए।
सीएसआर फंड और पुलिस विभाग की ओर से बालगुनाहगार बालकों के लिए समुपदेश संगोष्ठी का आयोजन कॅम्प एज्युकेशन सोसायटी रसिकलाल धारीवाल इन्स्टिट्यूट ऑफ मॅनेजमेंट,प्राधिकरण,निगडी में किया गया। इस अवसर पर पुलिस आयुक्त प्रमुख अतिथि के रुप में बोल रहे थे। चिंचवड में 18 पुलिस स्टेशन अंतर्गत कुल 234 बालगुनाहगारों का समुपदेशन,मानसिक जांच किया गया। बाल गुनाहगार बनने के अनेक कारण होते है। व्यसन,ड्रग्स,जिद के आगे पालकों का झुकना और पाल्यों की मांग पूरी करना,गलत संस्कार,घर का विषम माहौल होते है। बचपन से लडकियों को घर वाले दबाव में रखते है। ज्यादा आने जाने की आजादी नहीं देते। लेकिन लडकों के मामले में पालक लापरवाही और अनदेखी करते है। जिसका नतीजा बालपन में बच्चे अपराध की दुनिया में कदम रखते है। बालअवस्था में बच्चे गलत रास्तों पर भटक जाते है जिसका पारिवारिक माहौल सबसे बडा कारण होता है। बच्चों की जिद के आगे उनकी इच्छाओं को पूरी करते है। अगर इच्छा पूरी नहीं होती तो बच्चे इच्छा पूर्ति करने के लिए अपराध करते है। घर पर मनचाही चीज तुरंत नहीं मिलती तो अगे्रसिव हो जाते है।
कार्यक्रम का उदघाटन कृष्ण प्रकाश के हाथों हुआ। इस अवसर पर 187 बालगुनाहगार बालकों की उपस्थिति दर्ज की गई। डीसीपी मचक इप्पर,डीसीपी आनंद भोईटे,एसीपी श्वेता कटे,सर्वेश जावडेकर,,रेवांशी ग्रामविकास बहुउद्देशीय संस्था के सचिन कुंदोजवार,प्राचार्य भरत कासार,मानोसपचारतज्ञ डॉ.नरेंद्र कुंजीर आदि मान्यवर उपस्थित थे।
Tags महाराष्ट्र बाल गुनाहगार में नंबर वन-कृष्ण प्रकाश
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