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दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल में चमत्कार,देश का पहला बोन मैरो ट्रान्सप्लांट सफल

पुणे– पुणे के दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने अदभूत चमत्कार कर दिखाया जो अविश्‍वसनीय है। कैंसर से पीडित पिता को कोरोना संक्रमित बेटे ने बोन मैरो डोनेट किया। यह देश का पहला प्रयोग है।

पुणे में एक शख्स ने कोरोना संक्रमित होने के बावजूद 6 महीने पहले ब्लड कैंसर से पीड़ित अपने 55 साल के पिता के लिए बोन मैरो डोनेट किया था। हालांकि, संक्रमित होने के बावजूद उसके पिता ठीक हैं और उनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं है। दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि डोनर के कोविड पॉजिटिव स्टेटस को जानने के बावजूद देश में यह पहला बोन मैरो ट्रांसप्लांट था। हालांकि, थाईलैंड में भी इसी तरह का एक मामला अप्रैल में सामने आया था। वहां भी पेशेंट को 7 महीने से कोरोना संक्रमण नहीं हुआ है।

 पॉजिटिव होने के बावजूद हुआ बोन मैरो ट्रांसप्लांट
अस्पताल के हेमेटोलॉजिस्ट, समीर मेलिंकरी ने बताया कि मरीज का बेटा एक फिट डोनर पाया था। लेकिन उन्हें ट्रांसप्लांट से एक दिन पहले हल्के बुखार की शिकायत होने लगी। जिसके बाद उनका आरटी पीसीआर टेस्ट करवाया गया और उनमें कोरोना की पुष्टि हुई्। डॉक्टरों ने फिर उसकी बहन का परीक्षण किया, जो एक अन्य डोनर थी। वे भी कोरोना पॉजिटिव थी्ं। हालांकि तब तक यह ट्रांसप्लांट पूरा हो चुका था।

ब्लड के माध्यम से नहीं फैलता कोरोना
समीर मेलिंकरी ने कहा कि इस तरह के मामले को देखकर ऐसा लगता है कि कोविड का वायरस एक शरीर से दूसरे शरीर में ब्लड के माध्यम से नहीं फैलता। तब भी जब डोनर यानी रक्त देने वाला व्यक्ति कोविड पॉजिटिव हो। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि संक्रमित व्यक्तियों को रक्तदान करना चाहिए्। पिछले कई महीनों से कोरोनावायरस पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों ने एहतियात के तौर संक्रमित रोगियों को रक्तदान नहीं करने की सलाह दी है।

सिर्फ इन वजहों से शरीर में फैलता है कोरोना
समीर मेलिंकरी ने कहा कोरोना मुख्य रूप से छींकने,खांसने या बोलते वक्त मुंह से उत्पन्न बूंदों से फैलता है। दूषित सतह को छूने के बाद आंखें,नाक या मुंह को छूना भी इसका कारण बन सकते ह््ैं। लेकिन,भारत में रक्त की कमी को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिकों को इस पर खास रिसर्च करने की जरूरत है। विशेषज्ञों ने कहा कि पुणे मामले ने खून से होने वाले वायरस के ट्रांसमिशन को भी खारिज कर दिया है। इस दौरान कई ऐसे व्यक्ति ने रक्तदान किया होगा जिनमें कोरोना पॉजिटिव होने के बावजूद संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते ह््ैं।

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