नई दिल्ली-धर्म परिवर्तन को लेकर देशभर में हो हल्ला मचा हुआ है। विशेषत: भाजपा शाषित प्रदेश में धर्म परिवर्तन को लेकर कानून बनाने की घोषणा की है। यूपी देश का पहला राज्य होगा जो आज कानून बनाते हुए अध्यादेश पारित कर दिया है। लेकिन अध्यादेश चौंकाने वाला है। मुख्यमंत्री योगी महाराज धर्म परिवर्तन के खिलाफ है या फिर समर्थन में? अध्यादेश भ्रमित कर रहा है। अध्यादेश में कहा गया है कि अगर किसी को धर्म परिवर्तन करना हो तो दो महिने पहले जिलाधिकारी को सूचना देकर अनुमति लो।सवाल उठता है कि अगर अनुमति ही देना था तो धर्म परिवर्तन अध्यादेश का क्या औचित्य है?
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश लेकर आई है, जिसमें धोखे से धर्म बदलवाने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा धर्म परिवर्तन के लिए जिलाधिकारी को दो महीने पहले सूचना देनी होगी। अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक होने पर विहित प्रारुप पर जिलाधिकारी को 2 महीने पहले सूचना देनी होगी, इसका उल्लंघन किए जाने पर 6 महीने से 3 साल तक की सजा और जुर्माने की राशि 10 हजार रुपये से कम की नहीं होने का प्रावधान है।
यूपी सरकार में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि यूपी कैबिनेट उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 लेकर आई है, जो उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था सामान्य रखने के लिए और महिलाओं को इंसाफ दिलाने के लिए जरूरी है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों में 100 से ज्यादा घटनाएं सामने आई थीं, जिनमें जबरन धर्म परिवर्तित किया जा रहा है। इसके अंदर छल-कपट, बल से धर्म परिवर्तित किया जा रहा है।
अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के लिए 15,000 रुपये के जुर्माने के साथ 1-5 साल की जेल की सजा का प्रावधान है। अगर एससी-एसटी समुदाय की नाबालिगों और महिलाओं के साथ ऐसा होता है तो 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ 3-10 साल की जेल होगी। योगी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने बीते दिनों कहा था कि यूपी में अब ये नहीं चलेगा कि मिशन की तरह लड़कियों को बहलाकर धर्म परिवर्तन कराया जाए। ये उन जिहादियों को कड़ा संदेश है, जो इसकी आड़ में धर्म परिवर्तन करवा रहे है। ऐसे लोगों को जेल में डालने की पूरी तैयारी है।