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मनपा सभापति की उत्तर भारतीयों के प्रति जहरी बोली

पिंपरी- पिंपरी चिंचवड मनपा में स्थायी समिति सभापति संतोष लोंढे ने कल उत्तर भारतीयों के खिलाफ आग उगला। उनकी भाषाशैली,शब्दों से ऐसा लगा मानो उन्हें उत्तर भारतीयों से एलर्जी है। उनके छोटे मोटे धंधे से नफरत है,हाथगाडी,पथारी,टपरी में धंधा करने वाले यूपी,बिहारी लोग शहर के अतिक्रमण और शहर की सुंदरता में दाग लगा रहे है। इनके यूपी बिहारी,बाहरी लोगों के प्रति नफरत भरी वाणी सुनकर वहां बैठे दो पत्रकारों को नागवार गुजरी। जब उनसे सवालों के गोले दागे गए तो चुप्पी साधने में ही भलाई समझी। भोसरी के भाजपा विधायक महेश लांडगे के आशीर्वाद से इस सभापति को कुर्सी पर बैठने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। एक तरफ महेश लांडगे सर्वधर्म समभाव की बातें करते है,किसी जात-पात में भेदभाव नहीं करते। सबको गले लगाने व सबको बराबरी का दर्जा,न्याय मिलने के पक्षधर है तो वहीं उनका सभापति संतोष लोंढे ऐसे बयानबाजी से महेश लांडगे के प्रति उत्तर भारतीयों के मन में जहर घोलने का काम कर रहा है।

कल बुधवार के दिन पिंपरी चिंचवड मनपा स्थायी समिति की साप्ताहिक सभा के बाद पत्रकार परिषद ली गई। सभा में किन किन विषयों को मंजूरी मिली इस बारे में सभापति संतोष लोंढे जानकारी दे रहे थे। बोलते बोलते हॉकर्स झोन के मुद्दे पर आकर अटक गए। सभापति ने कहा कि बाहरी लोगों की वजह से हाथगाडी,टपरी,पथारी व्यवसाय हर सडक,हर चौक चौराहों में कुकरमुत्ते की तरह उग आए है। इन यूपी,बिहारी लोगों की वजह से शहर की सुंदरता नष्ट हो रही है। ये लोग कहीं भी टपरी,हाथगाडी लगाकर धंधा करते है और अतिक्रमण,ट्रॉफिक जाम करते है। हम ऐसी व्यवस्था करने जा रहे है जहां हॉकर्स जोन होगा। केवल उन्हीं लोगों को हॉर्क्स जोन में धंधा करने की अनुमति होगी जिनके पास पालिका का अधिकृत लाइसेंस होगा। बाकी लोगों को धंधा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

उत्तर भारतीयों को अप्रत्यक्ष रुप से टारगेट करते देख एक पत्रकार ने सवाल दागा कि उनको पनाह कौन देता है? उनसे हर दिन हर महिने हफ्ता कौन वसूल करते है? भोसरी परिसर में किसके आशीर्वाद से हाथगाडी,टपरी,पथारी वाले पुल के नीचे,फूटपाथ,बाजारों में धंधा करते है?अगर न मालूम हो तो नाम बताऊं क्या? इतना सुनकर सभापति असमंजस में पड गए। गले में शब्द अटक गया। अपने आपको संभालते हुए कहा कि नहीं नहीं…नाम सार्वजनिक करने की जरुरत क्या है? मतलब चुप रहने में भलाई समझी। एक दूसरा पत्रकार ने मुद्दे को आगे बढाते हुए कहा कि हाथगाडी,टपरी,पथारी वालों से प्रतिदिन 500 रुपये स्थानीय नेताओं के बगलबच्चे खूलेआम वसूल रहे है। धमकी भी देते है कि हम….के कार्यकर्ता हैं पुलिस में शिकायत करनी है तो बिंदास करो। दो पत्रकारों के आक्रामकता को देख सभापति चुप्पी साधी और विषयांतर करते हुए दूसरे मुद्दे पर चर्चा करने लगे। सर्वे के आधार पर जमीनी सच्चाई यह है कि टपरी,हाथगाडी नगरसेवकों,स्थानीय नेताओं के कार्यकर्ताओं के होते है। मशल पॉवर के दम पर जहां जगह दिखी वहीं टपरी,हाथगाडी लगा देते है फिर बाहरी लोगों को 10-15 हजार रुपये में टपरी और 6 हजार रुपये महिना हाथगाडी किराये पर देकर कमाई करते है। शहर में 5 टपरी,5 हाथगाडी गुंडागर्दी के दम लगा लिए तो बैठे बैठाए 1 लाख रुपये महिना किराया मिलता है। कभी कभी टपरी,हाथगाडी लगाने में वर्चस्व की लडाई,खूनी संघर्ष देखने को मिलती है। कालेवाडी तापकीर चौक में इसी वजह से डेढ महिना पूर्व नखाते नामक युवक की हत्या कर दी गई थी। इस घटना को भूलना नहीं चाहिए। किराए पर धंधा करने वाले परप्रांतीयों को हफ्ता अलग से देना पडता है।

पिंपरी चिंचवड में बसे 3 लाख उत्तर भारतीयों का यह दुर्भाग्य रहा है कि अपना कमाते है अपना खाते है। चुनाव के समय वोटबैंक भी बनते है। फिर भी 50 साल शहर को देने के बाद भी परप्रांतीय नाम से संबोधित किए जाते है। अगर सडकों,चौराहों पर हाथगाडी,टपरी,फूटपाथों पर वडापाव,चाय,पान,कपडा,सब्जी बेचकर अपने परिवार का पेट भरते है तो वोट लेने वाले और उनके बगलबच्चों को इनसे एलर्जी,नफरत क्यों है? नफरत फैलाने वाली आग उगलते है। शहर में उत्तर भारतीय केवल वोटबैंक बनकर रह गए है। चुनाव बाद 5 साल तक फूटबाल की तरह लोग आते जाते लात मारते है। बात केवल सभापति तक सीमित नहीं। आए दिन अलग अलग रंग रुप में उत्तर भारतीय हर दिन अपमान का घूंट पीते है। अब बहुत हो चुका है कहीं न कहीं यह सिलसिला बंद होना चाहिए। हमारे शहर के सियासतदानों को उत्तर भारतीयों के बारे में विचार,सोच बदलने की जरुरत है। अपने कार्यकर्ताओं को जहरी बोली बोलने से रोकने की जरुरत है।

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