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दुबेही स्कुल का शिक्षक चंद्रमौलि उरमलिया जांच के घेरे में,जल्द होगा बेनकाब

सतना-मध्यप्रदेश के जिला सतना के नादन संकुल के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत दुबेही के स्कूल में शिक्षाकर्मी के तहत भर्ती हुए शिक्षक चंद्रमौलि उरमलिया बच्चों को शिक्षा देने में जीरो और नेतागिरी करने में हिरो है। स्कूली बच्चों का गोपनीय रिजल्ट खुद न बनाकर बाहरी व्यक्ति से बनवाते है। ताजुब इस बात की है कि शिक्षा विभाग के संबंधित अधिकारी मौन क्यों है? ठोस कार्रवाई क्यों नहीं करते? क्या शिक्षा विभाग का गोपनीय काम अब ठेकेदारी पद्धति से किया जाएगा। यह बडा सवाल है। ऐसे अज्ञानी शिक्षक के भरोसे बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है।
स्कुल के अंदर शराब,गुटखा का सेवन करना स्कुली बच्चों पर क्या संस्कार पडेगा? अगर जिलाधिकारी,शिक्षा विभाग मेडिकल जांच कराए तो आरोपों की पुष्ठि हो जाएगी। इस शिक्षक को बच्चों को पढाने से ज्यादा नेतागिरी करने में ज्यादा दिलचस्पी है,यही कारण है कि कुछ महिने पहले एक राजनीतिक रैली में हिस्सा लिया और एक बडे नेता का पुतला दहन भी किया। इसका वीडियो वायरल भी हुआ था। सतना जिला शिक्षा अधिकारी ने संज्ञान में लेते हुए सस्पेंड भी कर दिया था और रामपुर बघेलान मुख्यालय में अटैच किया था। लेकिन जुगाडुलाल शिक्षक ने वापस अपने मूल स्थान पर बदली कराके आ धमके।
शिक्षक चंद्रमौलि उरमलिया बच्चों का रिजल्ट बनाने स्कूल रजिस्टर में सारी जानकारी लिखवाने का काम खुद न करके दुबही गांव के प्रदीप विश्वकर्मा तथा स्कुल के अन्य शिक्षक रमाकांत शुक्ला को अपने घर बुलाकर कराता है। हमारे संवाददाता ने जब इस बारे में गांव के प्रदीप विश्वकर्मा से पूछा तो उन्होंने बताया कि 2010 से लगातार पांच वर्ष तक रिकॉर्ड बनाया और रमाकांत शुक्ला ने परीक्षा रिजल्ट तथा सभी तरह के रजिस्टर में लिखने का कार्य किया। रमाकांत शुक्ला ने बताया कि चंद्रमौलि उरमलिया विकलांग है इसलिए मदद की। अब सवाल उठता है जो व्यक्ति विकलांग है वो राजनीतिक रैली में हिस्सा लेकर नेताओं का पुतला कैसे फूंकता है? शिक्षक का काम दिमागी होता है न कि शारिरिक। रिजल्ट बनाना,रजिस्टर तैयार करना यह दिमागी काम होता है।

कोई भी दस्तावेज अपने घर ले जाना तथा बाहरी आदमी से बिना अपने वरिष्ठ अधिकारी के लिखित आदेश के सरकारी काम करवाना गैर कानूनी है बच्चों का रिजल्ट यह गोपनीय दस्तावेज होता है। उसकी जनकारी बाहरी व्यक्ति को देना कहां तक उचित है? क्या अब शिक्षा विभाग का गोपनीय काम भी ठेकेदारी पद्धती से करवाया जायगा? क्या शिक्षा विभाग शंकुल प्रभारी का ध्यान इन बिंदुओं पर नही है? शिक्षक चंद्रमौलि अपने नए कारनामों से सुर्खियों में बने रहते है। मैहर तथा आसपास के शासकीय कार्यालय बिजली विभाग,आंगनवाडी,पुलिस थाना में एक बडे जनप्रतिनिधि के नाम से संचालकों,कर्मचारियों को डराने धमकाने का काम भी करता है। इससे तंग आकर नादन बिजली बिभाग के एक अधिकारी ने अपना तबादला करने के लिए रीवा मुख्य अभियांत्रिकी (अभियंता उए) को निवेदन किया है।

वहीं सूत्रों से जानकारी यह भी मिली है कि दुबेही स्कूल में रखरखाव के लिए जो भी धनराशि आती है उसमें यह सिर्फ कागजी कार्यवाही करके फर्जी बिल बनवाकर सारा पैसे का गबन यह शिक्षक कई वर्ष से कर रहा है। इस पर ग्राम पंचायत दुबेही के वरिष्ठ समाज सेवक रामनाथ पटेल तथा गांव के कई लोगों ने संबंधित विभाग से शिकायत की है। अब इस विषय पर सभी की निगाहें डायरेक्ट अजय कटेसरिया जिला न्याय दंडाधिकारी कलेक्टर सतना तथा जिला शिक्षा अधिकारी सतना तथा अपने कार्य के लिए समर्पित मृदुभाषी मैहर के तेज तर्रार एसडीएम सुरेश अग्रवाल पर टिकी है। क्या इस शिक्षक का मेडिकल कराएंगें? क्या नादन संकुल से पुराने रिकार्ड रिजल्ट की प्रति निकलवाकर राइटिंट मिलान करके जांच कराई जायगी?जिससे सत्यता सामने आ सके। या नेताओं के दबाव में यह सब दबा दिया जायगा?

मध्य प्रदेश में भले ही सरकार भाजपा की है परंतु बोलबाला गाँधी का ही है। शायद जिला शिक्षा अधिकारी को गाँधी रूपी प्रतिमा के दर्शन करवाकर यह शातिर शिक्षक चंद्रमौलि उरमलिया जांच रफादफा करवाने में सफल हो सकता है। या फिर जांच कर शक्त कार्यवाही होगी अब यह सब देखना बाकी है।

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