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नगरसेवक संतोष कोकणे का राष्ट्रवादी से मोहभंग..अकेला चलो की राह पर…

पिंपरी- पिंपरी चिंचवड मनपा में विरोधी पक्षनेता पद पर नगरसेवक संतोष कोकणे की नियुक्ति न होने से कालेवाडी परिसर में उनके कार्यकर्ताओं का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया है। कार्यकर्ताओं में जबर्दस्त नाराजगी दिखाई दे रही है। कार्यकर्ता संतोष कोकणे को पार्टी छोडने और आगामी 2022 चुनाव में निर्दलीय चुनाव लडने का दबाव बना रहे है।
आज विरोधी पक्षनेता पद पर राजू मिसाल की नियुक्ति की गई। कालेवाडी के नगरसेवक संतोष कोकणे ने भी इस पद के लिए इच्छुक थे। राजू मिसाल अपने पैनल में अकेले चुनकर आए। दो साल स्थायी समिति में सदस्य रहे। विभिन्न समितियों में भी रहे। उपमहापौर पद का सुख भी भोगा। दूसरी ओर नगरसेवक संतोष कोकणे के कार्यकर्ता गोरख कोकणे का कहना है कि विषम परिस्थतियों में संतोष कोकणे ने अपने दम पर राष्ट्रवादी का पूरा पैनल चुनकर लाया। लेकिन पिछले 4 सालों में उनको एक भी पद नहीं दिया गया। लोकसभा चुनाव में अपना खुद का लाखों रुपयर खर्च करके पार्थ पवार को कालेवाडी से लीड दी। 24 घंटे पार्टी सेवा में समर्पित कार्यकर्ता को अगर न्याय नहीं मिलता तो पार्टी में रहने का कोई मतलब नहीं। पार्टी के नेताओं ने हमारे साथ अन्याय किया है। कालेवाडी के हजारों राष्ट्रवादी के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को चोट पहुंचाने का काम किया। जिस पार्टी में न्याय नहीं उसमें अब रहना नहीं।

कहते हैं कि राजनीति में कोई ना कोई गॉडफादर का होना जरुरी होता है। लेकिन संतोष कोकणे ने अपना कोई गॉडफादर बनाया ही नहीं। बस पार्टी के वफादार सिपाही की तरह काम करते रहे और अपने नेताओं पर आस्था और विश्वास बनाए रखा। लेकिन लगातार हो रहे अन्याय से उनके कार्यकर्ताओं का फूटा गुस्सा से लगता है कि आस्था,विश्वास अब टूट चुका है। आने वाले दिनों में कार्यकर्ताओं की भावनाओं का आदर करते हुए कोकणे कोई ठोस निर्णय लेते है तो आश्चर्य नहीं।

अगर नगरसेवक संतोष कोकणे राष्ट्रवादी कांग्रेस को राम राम कहते है तो पार्टी को इस परिसर में एक बडी क्षति होगी। कोकणे का अपना एक जनाधार है। कालेवाडी में कोकणे का काम बोलता है। नम्र स्वभाव,मीठी बोली,प्रभाग के लोगों का काम करना उनको अपने पिता से विरासत में मिला है। अगर संतोष कोकणे राष्ट्रवादी को राम राम कहकर अकेला चलो की राह पर निकल पडे तो राष्ट्रवादी का झंडा उठाने वाला शायद कोई बचेगा। अब देखने वाली बात होगी कि पार्टी हाईकमान इस डैमेज को कैसे कंट्रोल करते है और पार्टी कार्यकर्ताओं का गुस्सा कैसे शांत करते है?

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