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…नहीं रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी


नई दिल्ली- पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का आज निधन हो गया है। सोमवार शाम को 84 साल की उम्र में प्रणब मुखर्जी ने अंतिम सांस ली। वो पिछले कई दिनों से कोरोना से संक्रमित थे,आर्मी अस्पताल में भर्ती थे। बीते दिनों प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उनकी सर्जरी भी हुई थी। प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी के निधन की जानकारी दी।

उनका संसदीय कैरियर करीब पाँच दशक पुराना है, जो 1969 में कांग्रेस पार्टी केराज्यसभासदस्य के रूप में (उच्च सदन) से शुरू हुआ था। वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में फिर से चुने गये। 1973 में वे औद्योगिक विकास विभाग के केंद्रीय उप मन्त्री के रूप में मन्त्रिमण्डल में शामिल हुए।

प्रणब मुखर्जी कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए थे और उनकी हाल ही में ब्रेन सर्जरी की गई थी। प्रणब मुखर्जी साल 2012 देश के राष्ट्रपति बने थे, 2017 तक वो राष्ट्रपति रहे। साल 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
प्रणब मुखर्जी को खराब स्वास्थ्य के कारण 10 अगस्त को दिल्ली के ठठ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके मस्तिष्क में खून का थक्का जमने के बाद सर्जरी की गई थी।
प्रणब दादा यूपीए-2 सरकार के समय राष्ट्रपति थे। साथ ही कांग्रेस सरकार में वित्तमंत्री भी रह चुके है। पश्चिम बंगाल में प्रणब मुखर्जी का जन्म हुआ था। मोदी सरकार पार्ट-1 के समय प्रणव दादा भारत के सर्वोच्च सम्मान भारतत्न पुरस्कार से सम्मानित हुए है। 2008 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मविभूषण से नवाजा गया। 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का आवार्ड भी दादा को मिल चुके है। साथ ही वित्तमंत्रालय और अन्न आर्थिक मंत्रालयों में राष्ट्रीय और आंतरिक रुप से उनके नेतृत्व का लोहा माना गया है। वो लंबे समय के लिए देश की आर्थिक नीतियों को बनाने में महत्वपूर्ण व्यक्ति के रुप में जाने जाते थे। देश में अबतक डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर,स्व,राजीव गांधी,पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतरत्न से सम्मानित हो चुके है। दादा को कांग्रेस का संकटमोचन कहा जाता था।

वे सन 1982 से 1984 तक कई कैबिनेट पदों के लिए चुने जाते रहे और और सन् 1984 मेंभारत के वित्त मंत्रीबने। सन 1984 में,यूरोमनीपत्रिका के एक सर्वेक्षण में उनका विश्व के सबसे अच्छे वित्त मंत्री के रूप में मूल्यांकन किया गया।5उनका कार्यकाल भारत केअन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष(आईएमएफ) के ऋण की 1.1 अरब अमरीकी डॉलर की आखिरी किस्त नहीं अदा कर पाने के लिए उल्लेखनीय रहा। वित्त मंत्री के रूप में प्रणव के कार्यकाल के दौरान डॉ मनमोहन सिंह भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर थे। वे इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव के बाद राजीव गांधी की समर्थक मण्डली के षड्यन्त्र के शिकार हुए जिसने इन्हें मन्त्रिमणडल में शामिल नहीं होने दिया। कुछ समय के लिए उन्हें कांग्रेस पार्टी से निकाल दिया गया। उस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक दलराष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेसका गठन किया, लेकिन सन 1989 में राजीव गान्धी के साथ समझौता होने के बाद उन्होंने अपने दल का कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया।6उनका राजनीतिक कैरियर उस समय पुनर्जीवित हो उठा, जबपी.वी. नरसिंह रावने पहले उन्हें योजना आयोग के उपाध्यक्ष के रूप में और बाद में एक केन्द्रीय कैबिनेट मन्त्री के तौर पर नियुक्त करने का फैसला किया। उन्होंने राव के मंत्रिमंडल में 1995 से 1996 तक पहली बार विदेश मन्त्री के रूप में कार्य किया। 1997 में उन्हेंउत्कृष्ट सांसदचुना गया।
सन 1985 के बाद से वह कांग्रेस कीपश्चिम बंगालराज्य इकाई के भी अध्यक्ष हैं। सन 2004 में, जब कांग्रेस ने गठबन्धन सरकार के अगुआ के रूप में सरकार बनायी, तो कांग्रेस के प्रधानमन्त्रीमनमोहन सिंहसिर्फ एकराज्यसभासांसद थे। इसलिए जंगीपुर (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से पहली बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले प्रणव मुखर्जी को लोकसभा में सदन का नेता बनाया गया। उन्हें रक्षा, वित्त, विदेश विषयक मन्त्रालय, राजस्व, नौवहन, परिवहन, संचार, आर्थिक मामले, वाणिज्य और उद्योग, समेत विभिन्न महत्वपूर्ण मन्त्रालयों के मन्त्री होने का गौरव भी हासिल है। वह कांग्रेस संसदीय दल और कांग्रेस विधायक दल के नेता रह चुके हैं, जिसमें देश के सभी कांग्रेस सांसद और विधायक शामिल होते हैं। इसके अतिरिक्त वे लोकसभा में सदन के नेता, बंगाल प्रदेश कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष, कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मंत्रिपरिषद में केन्द्रीय वित्त मन्त्री भी रहे। लोकसभा चुनावों से पहले जब प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने अपनी बाई-पास सर्जरी कराई, प्रणव दा विदेश मन्त्रालय में केन्द्रीय मंत्री होने के बावजूद राजनैतिक मामलों की कैबिनेट समिति के अध्यक्ष और वित्त मन्त्रालय में केन्द्रीय मन्त्री का अतिरिक्त प्रभार लेकर मन्त्रिमण्डल के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे।

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