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चोर मचाए शोर…संजोग वाघेरे का भाजपा पर प्रहार

पिंपरी- पिंपरी चिंचवड मनपा के आयुक्त श्रावण हर्डीकर पिछले तीन सालों से भाजपा को मीठे लगते थे,अब अचानक कडवे लगने लगे। जब तक आयुक्त उनके पालिका संबंधित हर अच्छे बुरे विकास काम टेंडर फाईल मंजूर करते थे तो आयुक्त के नाम की माला भाजपाई जपते थे। लेकिन जैसे ही खबूगिरी और भ्रष्ट्राचार की मनमानी पर आयुक्त ब्रेक लगया,लगाम कसना शुरु किया तो भाजपा के स्थानीय नेता,पालिका के पदाधिकारी बिलबिलाने लगे। खिंसियानी बिल्ली खंभा नोंचे की तर्ज पर आयुक्त पर आरोप लगा रहे है कि वो भाजपा को बदनाम कर रहे। यह तो वही बात हो गई कि चोेर मचाए शोर। ऐसी प्रतिक्रिया पिंपरी चिंचवड शहर राष्ट्रवादी कांग्रेस अध्यक्ष संजोग वाघेरे ने दी है।
श्री वाघेरे ने कहा कि 2017 में पिंपरी चिंचवड मनपा में भाजपा की सत्ता आयी थी उस समय के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने श्रावण हर्डीकर को आयुक्त बनाकर भेजा था। 1 जून 2020 तक भाजपा के नगरसेवक,विधायक,महापौर,सत्तारुढ नेता को आयुक्त प्यारे,दुलारे लगते थे फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि आयुक्त किनारे लगने लगे? ऐसा सवाल संजोग वाघेरे ने दागे। क्या है पूरा मामला आओ समझाते है।
18 अगस्त के दिन पालिका स्थायी समिति सभा में स्कूली साहित्य खरीदने से संबंधित 2 करोड 43 लाख रुपये का विषय मंजूरी के लिए रखा गया। कोरोना महामारी में फिजूल खर्च में कटौति और विषय में विसंगति का आभास होने के कारण आयुक्त ने इस विषय को रोकने का काम किया। पिछले ही साल स्कूल के लिए करोडों रुपये खर्च से बेंचेस खरीदा गया जो धूल फांक रही है। कोरोना काल में पालिका स्कूल बंद है फिर साहित्य खरीदना अनावश्यक खर्च लगा। चार महिने पहले ही आयुक्त ने घोषणाकी थी कि केवल जरुरी 30 फीसदी विकास काम होंगे बाकी बजट कोरोना मरीजों के इलाज में खर्च होगा। लेकिन सत्ताधारी भाजपा के पालिका पदाधिकारी भडक गए और आयुक्त को खूब खरी खोटी सुनाई। आयुक्त ने तो केवल भाजपा की भ्रष्टाचार की मलाई को खाने से रोकने का काम किया और जनता की गाढी कमाई की जमा रकम को लुटने से बचाया। इधर स्थायी समिति के सभापति संतोष लोंढे को कहां चैन मिलता है? समय से पहले टारगेट पूरा करना चाहते है। अब यह टारगेट क्या होता है?ये अंदर की बात है,पब्लिक है सब जानती है। बस इतना मान लो कि पिंपरी चिंचवड मनपा एक दूधारु गाय की तरह है ज्यादा से ज्यादा दूध पीने की होड़ मची है।
पालिका अधिनियम 673 के तहत आपातकाल परिस्थितियों में आयुक्त को साहित्य खरीदने का अधिकार है। मार्च 2020 से आयुक्त को डायरेक्ट अत्यावश्यक खरीदी करने का अधिकार रिजर्व है। जबकि पालिका का शिक्षा विभाग स्वतंत्र विभाग है पालिका के आधीन होकर भी निर्णय लेने का अधिकार आयुक्त के पास है। कोरोना काल का फायदा उठाकर सत्ताधारी भाजपा अनावश्यक खरीदी,विकास कामों को धडाधड मंजूर कर रही है। सबसे अव्वल नंबर में पालिका का भांडार विभाग है। जो मास्क,सेनेटाइजर,कोरोना सेंटर,सेंटर में भोजन पूर्ति करने का ठेका जैसे विभिन्न भ्रष्टाचार रुपी काम को बेधडक बिना टेंडर के अपने मनपसंद ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के इरादे से दे रही है। लोगों का ध्यान कोरोना की ओर और भाजपा पदाधिकारियों का ध्यान पालिका तिजोरी चाटने की ओर। अब इस भ्रष्टाचार पर अगर आयुक्त बे्रक लगाने का काम करते है तो भाजपाईयों को क्यों मिर्ची लगी? राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी आयुक्त के इस निर्णय का स्वागत करती है और आयुक्त के हर जनहित निर्णय के साथ खडी रहेगी। ऐसा संजोग वाघेरे ने विश्वास दिलाया है।

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