पुणे. कोरोना संक्रमण के बीच राज्य में लोग बिजली के बढ़े हुए बिल से परेशान ह््ैं। लोगों का आरोप है कि सरकार ने दो महीने के बिल को एक साथ जोड़कर एक महीने का बिल भेज दिया है। आज इसी बात को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुणे में बिजली विभाग के दफ्तर पर प्रदर्शन और हंगामा किया।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने हाथ में लालटेन लेकर प्रदर्शन किया और सरकार की विफलता का नारा बुलंद किया। यही नहीं उन्होंने विरोध स्वरुप अपने बिल की कॉपी को आग के हवाले किया। कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि जिन्हें ज्यादा बिल आया है वे बिजली का बिल ना भरे।
100 से ज्यादा कार्यकर्ता ने बिजली विभाग दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया।
बॉम्बे हाईकोर्ट में बिल के खिलाफ याचिका
बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है, जिसमें महाराष्ट्र में कई नागरिकों द्वारा प्राप्त बिजली बिलों पर चिंता जताई गई है और राशि को कम करने के लिए राज्य सरकार और बिजली सेवा प्रदाताओं को निर्देश देने की मांग की गई है। मुंबई स्थित व्यवसायी रविंद्र देसाई द्वारा दायर जनहित याचिका में यह भी मांग की गई है कि सरकार और अडानी और टाटा पावर जैसी कंपनियां भविष्य में अतिरिक्त बिजली बिलों से बचने के लिए रणनीति तैयार करे्ं।
बिजली के बढ़े बिल देने के पीछे कंपनियों का तर्क
अदानी और टाटा पावर का कहना है कि बिल की रकम ज्यादा इसलिए दिख रही क्योंकि लॉकडाउन के दौरान गणना प्रक्रिया में बदलाव किया गया था। दरअसल लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलेटरी कमीशन ने एक गाइडलाइन जारी की थी। जिसमें बिजली कंपनियों को मार्च और अप्रैल के बिलों की गणना मीटर रीडिंग से नहीं बल्कि, दिसंबर, जनवरी और फरवरी की एवरेज बिल के आधार पर करने का निर्देश दिया गया था। सर्दियों में खपत कम होने की वजह से मार्च और अप्रैल का बिल काफी कम रहा, लेकिन जून से मीटर रीडिंग दोबारा शुरु होने पर मार्च, अप्रैल और मई के बिल का बकाया जून में वसूला जा रहा है।