पिंपरी- पिछले तीन महिनों से लॉकडाउन और संचारबंदी लगी थी। पुलिस लाठी के दम पर लोगों को घरों में कैद होने पर मजबुर किया। अगर गलती से किसी काम के लिए बाहर निकले तो लाठियां बरसाई गई, युवकों की मोटरसाइकिल जब्त करके घंटों पुलिस स्टेशन पर बैठाया गया। अपराध दर्ज हुआ। यहां तक कि सुबह वॉकिंग पर निकलने वाले लोगों को सडकों पर मुर्गा बनाकर व्यायाम कराया गया।
फिर पुलिस को शहर में चल रहे अवैध धन्धे, जगुार अड्डा की खबर क्यों नहीं लगी? तीन महिनों तक सडकों शहरों में केवल पुलिस का दबदबा था। अड्डों पर जुगार खेलने और अड्डा चलाने वाले चालकों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई। बरसात के दिनों में नदी किनारा पट्टा का सर्वेक्षण करने निकले पालिका आयुक्त श्रावण हर्डीकर और महापौर माई ढोरे समेत कुछ नगरसेवक, अधिकारी, पदाधिकारी जुनी सांगवी में खूलेआम चल रहे अड्डे पर पहंचकर रंगे हाथ पकडने का काम करते है। चालक भाग खडे होते है। जुगार अड्डा चलाने के लिए कुछ साहित्य और नगदी भी छोड जाते है।
अब सवाल यह है कि एक दिन के सर्वेक्षण में जुगार अड्डा का पर्दाफाश होता है तो सोचो शहर में कितने ऐसे अड्डे चल रहे होंगे? सांगवी पुलिस थाने की सीमा में यह अड्डा है। फिर पुलिस को आज तक खबर क्यों नहीं लगी? सच्चाई यह है कि स्थानीय पुलिस के आशीर्वाद से शहर में अवैध धन्धे, जुगार अड्डे फलफूल रहे है। वर्तमान में हर पुलिस स्टेशन सीमा के अंतर्गत जुगार अड्डे चल रहे है। अड्डों की कुल संख्या लगभग 40 तक है। हर पुलिस स्टेशन में एक पुलिस वाला कलेक्टर का काम करता है। वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी रहती है। नीचे से ऊपर तक सिस्टम फेविकोल की तरह चिपका होता है।
पिंपरी चिंचवड शहर पुलिस आयुक्तालय नया होने की वजह से अलग अलग शहरों से वरिष्ठ अधिकारी, कर्मचारी तबादले पर आए है। आला अफसरों को कोई जानकारी नहीं होती। यह सब पुलिस चौकी, पुलिस स्टेशन तक का खेल होता है। अब स्टेशन से कुछ रसमलाई उपर तक भी जाती है। इन अडडों से कई परिवार बर्बाद होकर सडकों पर आ गए। अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा इन अड्डों की भेंट चढा देता है। अड्डा चलाने में स्थानीय कुछ सफेदफोश नेता,नगरसेवक, राजनीतिक कार्यकर्ता भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से शामिल होते है जो मदद करते है। यही कारण है कि खुलेआम लॉकडाउन संचारबंदी में भी धडल्ले से अड्डे चलते रहे।
अगर कोई सामाजिक संगठना, समाजसेवक इन अवैध धन्धों के बारे में आवाज उठाता है और पुलिस में शिकायत करता है तो एक दो दिनों के लिए दिखावा के रुप में पुलिस कार्रवाई करती है तीसरे दिन फिर जुगार अड्डे गुलजार हो जाते हैं। अगर कोई इनके पीछे हाथ धोकर पडता है तो पुलिस की मदद व मार्गदर्शन में किसी न किसी केस में फंसा दिया जाता है। पुलिस आयुक्त रशमी शुक्ला के कार्यकाल में पिंपरी चिंचवड शहर में पूर्ण रुप से 100 फीसदी जुगार अड्डा और दो नंबर के धन्धे बंद थे। लेकिन नए पुलिस आयुक्तालय के संचालित होते ही अवैध धन्धों की मानो बाढ़ आ गई हो।
आओ यह भी बताते चलें कि दो नंबर के कौन से धन्धे चलते है जिसमें पुलिस देखी को अनदेखी करती है। जुगार अड्डा, गुटखा, नशीले पदार्थ कालेज परिसर में, सरकारी अनाज की खुले मार्केट में विक्री, दूध में मिलावट व ब्रांड दूध कंपनी के नाम से विक्री करना, हवाला का धन्धा, होटल लॉजिंग में वेश्यावृत्ति का धन्धा, असली बोतल में नकली शराब विक्री, कच्ची शराब की भट्टियां आदि अवैध धन्धे सरेआम खुलेआम बेधडक चल रहे है। अगर पुलिस चाह ले तो इस शहर में बच्चे का एक खिलौना कोई चोरी नहीं कर सकता। पुलिस के आशीर्वाद के बिना यह संभव नहीं।
महापौर माई ढोरे, पालिका आयुक्त हर्डीकर, सत्तारुढ नेता नामदेेव ढाके, शिवसेना गुट नेता राहुल कलाटे ने पुलिस आयुक्त से शहर में चल रहे तमाम जुगार अड्डे व अन्य गलत कामों पर तुरंत कार्रवाई करने और परमानंट अड्डों को बंद करने की मांग क है साथ ही जिस पुलिस स्टेशन की सीमा में अड्डे पाए जाए उसके वरिष्ठ पुलिस निरिक्षक को जवाबदेही मानकर कार्रवाई होनी चाहिए।
अब देखते हैं कि पालिका आयुक्त, महापौर द्धारा सांगवी जुगार अड्डा रंगेहाथ पकडने के बाद पुलिस आयुक्त श्री संदीप विश्नोई सांगवी पुलिस पर क्या कार्रवाई करते है? अड्डों को परमानंट लॉकडाउन का निर्देश देते है? शहर में ऐसे तमाम जुगार अडडों, अवैध धन्धों को बंद कराने में क्या ठोस कदम उठाते है?या फिर पुरानी परंपरा के अनुसार दिखावा की कार्रवाई फिर धन्धे गुलजार, सबकुछ आल इज वेल की बहार रहती है।