पुणे- पुणे जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग से अन्य राज्यों और जिलों से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पैदल यात्रा कर रहे ह््ैं। वर्तमान में यह एक गर्मी का दिन है और पैदल या अन्य साधनों से यात्रा करते समय उन्हें आराम करने के साथ-साथ नाश्ता, भोजन, शौचालय के साथ-साथ सभी सहायक सुविधाएं प्रदान करने की आवश्यकता होती है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, जिला कलेक्टर नवल किशोर राम ने पुणे जिले में पुणे-बैंगलोर, पुणे-सोलापुर, पुणे-अहमदनगर, पुणे-मुंबई और पुणे-नाशिक राजमार्गों पर राज्य आपदा प्रबंधन कोष से स्थानीय ग्राम पंचायत की मदद से मजदूरों की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। देश के विभिन्न राज्यों में, विस्थापित श्रमिकों, जिले में फंसे मजदूरों को जिले में प्रवेश करने या छोड़ने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करने की अनुमति है।
वर्तमान में, यह एक गर्मी का दिन है और पैदल या अन्य साधनों से यात्रा करते समय, उन्हें आराम, नाश्ते और दोपहर के भोजन की आवश्यकता होती है। पुणे-बैंगलोर, पुणे-सोलापुर, पुणे-नगर, पुणे-मुंबई और पुणे-नाशिक राजमार्गों पर, स्थानीय ग्राम पंचायत की सहायता से आश्रम की व्यवस्था करने के निर्देश अधिकारी राम द्वारा दिया जाता है। विभिन्न चरणों में उपलब्ध मंगल कार्यालय, ढाबा या अन्य सार्वजनिक स्थानों को इस राजमार्ग पर नियमित अंतराल पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए्। इसे तहसीलदार द्वारा तुरंत अनुमोदित किया जाना चाहिए्। प्राप्त होने पर, संबंधित ग्राम पंचायत को उपरोक्त निर्देशों के अनुसार तुरंत विश्राम गृह शुरू करना चाहिए्। रेस्ट हाउस में चाय, नाश्ता, भोजन के साथ-साथ शौचालय और आराम की सुविधाएं होनी चाहिए्। यह सुनिश्चित करने के लिए ध्यान रखा जाना चाहिए कि बाकी क्षेत्रों में हाथ धोने की सुविधा, सैनिटाइज़र के साथ-साथ सामाजिक कूड़ेदान आदि भी देखे जाए्ं। रेस्ट हाउस को स्थानीय पुलिस स्टेशन द्वारा आवश्यकतानुसार संरक्षित किया जाना चाहिए
इस तरह के निर्देश कलेक्टर राम ने भी दिए ह््ैं।
आराम के स्थान पर पहुंचने वाले प्रत्येक मजदूर को एक अलग रजिस्टर में दर्ज किया जाना चाहिए और संबंधित मजदूर के संपर्क नंबर, हस्ताक्षर, पते को रजिस्टर में शामिल किया जाना चाहिए्। इसके अलावा संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा विश्राम गृहों में दैनिक उपस्थिति की रिपोर्ट तहसीलदारों और समूह विकास अधिकारियों को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए ह््ैं। आदेश में कहा गया है कि उप-विभागीय अधिकारी, तहसीलदार और समूह विकास अधिकारी समय-समय पर इन विश्रामगृहों का दौरा करते हैं और श्रमिकों को गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं प्रदान करने के लिए देखभाल की जानी चाहिए्।
Tags पुणे कलेक्टर का दिल पसीजा
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