पुणे- 2008 बैच की भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (आईएएस) रूबल अग्रवाल की अगुवाई में महाराष्ट्र के पुणे में कोरोना पर नियंत्रण पाने में सफलता मिली है। रूबल अग्रवाल पर पुणे की नगरपालिका की जिम्मेदारी है और साथ ही वह पुणे स्मार्ट सिटी डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड की मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष भी ह््ैं। पुणे स्मार्ट सिटी डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन का काम शहर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों, कोरोना से होने वाली मौत और इस बीमारी से ठीक होने वाले लोगों की संख्या की जानकारी देना होता है। यह कंपनी सर्वे करने वाली कंपनियों के साथ मिलकर काम करती है ताकि कोरोना से संबंधित बेहतर परिणाम सामने आए्ं।महाराष्ट्र में मुंबई और पुणे दोनों कोरोना वायरस से बहुत बुरी तरह प्रभावित है लेकिन चार मई तक पुणे में कोविड -19 से 1,890 लोग ठीक हो गए ह््ैं।
पुणे में संक्रमित मरीजों की संख्या दो हजार से ज्यादा है। रूबल अग्रवाल ने बताया कि पुणे नगरपालिका के 15,000 कर्मचारी आगे आकर काम कर रहे ह््ैं। पुणे की मेडिकल सेवाओं, इंजीनियर्स और क्लर्क के अलावा नगरपालिका के 42 विभाग अन्य सेवाएं देने के लिए लगातार काम कर रहे ह््ैं।
पुणे नगरपालिका ने एक कमांड कंट्रोल वॉर रूम की स्थापना की है। रूबल ने बताया कि इस कमरे का मुख्य तौर पर इस्तेमाल उन इलाकों की निगरानी करने के लिए किया जाता है जहां कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। रूबल की टीम ने ऐसे इलाकों पर ज्यादा जोर दिया है जहां कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या ज्यादा है। उन इलाकों में ज्यादा टेस्टिंग और सर्वे कराए जा रहे ह््ैं। ज्यादा टेस्टिंग की वजह से ही पुणे में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या भी ज्यादा आई है। रूबल अग्रवाल सुबह छह बजे उठकर सूर्य नमस्कार करती हैं, शाम को घर लौटने के बाद भी आधी रात तक रूबल काम करती रहती ह््ैं। कोरोना वायरस के खतरे के बाद से रूबल दिन में 14-18 घंटे काम करती ह््ैं। पुणे का स्वास्थ्य विभाग रूबल अग्रवाल देखती हैं, इसलिए वह रोजाना कर्मचारियों, संक्रमित मरीजों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और क्वारंटीन में रखे गए मरीजों की समीक्षा करती है। रूबल ने बताया कि वह कोविड-19 को समर्पित अस्पतालों का भी दौरा करती हैं, अभी पुणें में कुल 17,000 कोरोना के लिए बिस्तर ह््ैं। घर से निकलने के बाद ही रूबल अस्पताल का दौरा करते समय मास्क, दस्ताने और पीपीई किट जरूर पहनती ह््ैं। उनका कहना है कि अगर कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ेगी तो ज्यादा मेडिकल कर्मचारियों की भी जरूरत पड़ेगी। रूबल अग्रवाल का कहना है कि कोरोना महामारी उनके करियर और जीवन की सबसे बड़ी चुनौती है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि भारत देश कोरोना वायरस के खिलाफ अपनी जंग जीत लेगा।