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कलेक्टर साहब! यूपी-बिहारी प्रवासी मजदूरों की पुकार सूनो….

प्रवासी मजदूरों को बस नहीं ट्रेन चाहिए,
सरकारी नियम,शर्त जटिल, अशिक्षित मजदूरों को अग्निपथ पार करना आसान नहीं
सरकारी अनाज केवल कार्डधारकों को, जरुरतमंद आज भी वंचित
लॉकडाउन और भूखमरी से मजदूरों का संतुलन बिगडा,
पुणे से गोरखपुर, पुणे से पटना गाडी शुरु करने की जरुरत
जिला प्रशासन का कदम सराहनीय, मगर अशिक्षित मजदूरों के लिए परेशानी भरा


पुणे- लंबे लॉकडाउन, संचारबंदी, राज्यसीमा बंदी, जिलाबंदी, मुहल्ला बंदी से प्रवासी मजदूर पिछले 40 दिनों से घरों में कैद है। हाथ में काम नहीं, जेब में दाम नहीं, घर में अनाज नहीं, भूखे प्यासे युपी-बिहारी मजदूरों की एक ही पुकार हमको कलेक्टर साहब घर भेज दो वर्ना हम कोरोना से पहले भूख से दम तोड देंगे। पिछले सप्ताह पुणे के कोथरुड शेल्टर होम से भूखा प्यासा एक बिहारी मजदूर आधा पेट खाना मिलने से शेल्टर होम से निकलकर भाग रहा था। उसे पटना अपने गांव जाना था लेकिन कोथरुड पुलिस के पांच सिपाही अनगिनत डंडे मारकर अधमरा हालत में वापस शेल्टर होम में ठूंसने का काम किए थे। इस घटना को भूलाया नहीं जा सकता।
कुछ स्थानीय समाजसेवी संस्था मदद कर रही है लेकिन नाकाफी है। मजदूर वर्ग मेहनतकश होता है खाना ज्यादा लगता है और अगर घर पर बैठे हो तो चार टाइम का खाना लगता है। ऐसी परिस्थिति में केवल भूखमरी जीवन को लील ले जाएगी। उससे पहले कलेक्टर साहब बिनाविलंब मार्ग निकालें और यूपी-बिहारी मजदूरों को उनके गांव ट्रेन से पहुंचाने की व्यवस्था करें। ऐसी मांग पिंपरी चिंचवड शहर के उत्तर भारतीय वरिष्ठ समाजिक कार्यकर्ता विजय गुप्ता ने की है। श्री गुप्ता पिछले दो महिनों से प्रवासी मजदूरों के बीच जाकर जीवनोपयोगी वस्तुओं की पूर्ति कर रहे है। उनके बीच जाने से मजदूरों की पीडा तकलीफ सामने नजर आयी । लाखों की तादाद में पुणे जिले में फंसे प्रवासी मजदूरों एक ही राग अलाप रहे है कि उनको उनके मूलगांव भेजने का प्रबंध किया जाना चाहिए ।
1) बसों से मजदूरों का छोडना किसी अग्निपथ से कम नहीं। पटना तक ट्रेन से जहां 3 दिन का सफर होता है वहीं बस से सीमा व राज्य परिवहन बसों की अदला बदली में कितने दिन लग सकते है अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए ट्रेन सही विकल्प ह बस नहीं । युपी बिहारी प्रवासी ज्यादातर देवरिया, वस्ती, गोरखपुर, छप्परा, इलाहाबाद, पूर्वांचल के जिलों से तालुक रखते है। अगर पुणे से पटना और पुणे से गोरखपुर दो गाडियों को स्पेशल मजदूर ट्रेन बनाकर पुणे से रवाना किया गया तो भूख प्यास से बिलबिलाते प्रवासी मजदूरों की जान बचायी जा सकती है। वर्ना बिगडे संतुलन में कोई भी अनहोनी घटना हो जाए तो कोई आश्‍चर्य नहीं।
2) दूसरी बात यह है कि जिला प्रशासन ने जो नियम बनाए है वो सराहनीय है मगर अशिक्षित अंगूठा छाप मजदूरों के लिए जटिल है। ऑनलाइन रजिस्टे्रशन कैसे करेंगे? उनके पास न तो लॅपटॉप है न कंप्युटर, मोबाईल भी सामान्य होते है जिसमें केवल इनकमिंग आउटगोइंग की सुविधा होती है। तलाठी और तहसीलदार कार्यालय तक पहुंचना टेडी खीर है क्योंकि घर के बाहर डंडे वाले पुलिस, नाकाबंदी हालात में घर से निकल नहीं सकते। ऐसे हालात में अगर कोई मजदुर भूखा प्यासा दम तोड दे या बिगडे संतुलन में जीवनलीला समाप्त कर ले तो हम सबके लिए शर्मनाक बात होगी।

3) तीसरी बात की ओर ध्यानाकर्षण कराना जरुरी है कि सरकारी राशन दुकानों में जो मुप्त में राशन वितरण हो रहा वो केवल कार्ड धारकों को मिल रहा है। प्रवासी मजदूरों और कार्डधारकों में काफी अंतर है। ये प्रवासी मजदूर वो लोग होते है जो किसी बिल्डर ठेकेदार के यहां कन्स्ट्रक्शन साईट पर काम करते है। जिनके पास न तो राशनकार्ड न कोई पहचानपत्र होता है। एक एक बिल्डर के पास 50-100 मजदूर काम करते है। पिंपरी चिंचवड शहर समेत पूरे पुणे जिले में ऐसे कितना बिल्डर, ठेकेदार होंगे ? कितने मजदूर काम करते होंगे और लॉकडाउन में फंसे होंगे ? लाखों में संख्या हो सकती है। सहज समझा जा सकता है। हमारी लोकल सरकार यानि नगरनिगम के पास ऐसे मजदूरों का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। ठेकेदार भी अब इनको राशन पानी देने से इंकार कर दिया। उनका कहना है कि काम बंद तो बिल्डर से पैसा आना बंद अपनी जेब से कहां से देंगे? यही हाल कंपनियोें में ठेकेदारी से काम करने वाले मजदूरों की है। सरकारी अनाज इन मजदूरों को मिलना चाहिए । लेकिन कोई रिकॉर्ड न होने से सरकारी अनाज और अन्य सुविधा पाने से वंचित है।

आखिरी में श्री विजय गुप्ता ने कलेक्टर साहब को एक सुझाव के रुप में कहा है कि सभी समस्याओं का एक ही निवारण हो सकता है और वो यह कि यथाशीघ्र यूपी ़-बिहार के लिए मजदूर ट्रेन चलाकर इनके मूलगांव तक भेजने का प्रबंध किया जाए जो वर्तमान में अन्य राज्य व जिला कर रहे है। रेड जोन, ग्रीन जोन, एलो जोन के चक्कर में अगर एक भी मजदूर की मौत होती है तो जिला प्रशासन जवाबदेही रहेगा ही साथ ही मानवता की हत्या से कम नहीं माना जाएगा।

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