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कटे बालों का 22 हजार करोड़ का कारोबार स्वाहा


नई दिल्ली-पूरी दुनिया में इंसानी बालों का कुल कारोबार 22,500 करोड़ रुपयों का है। हेयर प्रॉडक्ट्स की नामी कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक ये कारोबार हर साल लगभग 10 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। आंकड़े कहते हैं कि 2023 तक यह कारोबार 75,000 करोड़ का हो जाएगा। 2018 में अकेले भारत ने 250 करोड़ रुपये का बालों का कारोबार किया। यह दुनिया के कुल एक्सपोर्ट का लगभग आधा है। 2014 से लेकर अब तक इस कारोबार में लगभग 40 फीसदी इजाफा हुआ है।
भारतीय संस्कृति के मुताबिक भारत में बच्चों के संस्कार से लेकर अंतिम संस्कार तक में बाल मुंडवाने की प्रथा का काफी महत्व है। देश के कई मंदिरों में बाल चढ़ाने की प्रथा है। दक्षिण भारत के तिरुपति बालाजी मंदिर समेत कई मंदिरों में तो मन्नतें पूरी होने पर बाल चढ़ाने वालों का तांता लगा रहता है। इन मंदिरों में हर रोज सैकड़ों टन बाल चढ़ाए जाते ह््ैं। आपने सुना होगा कि मंदिरों को बाल बेचकर लाखों-करोड़ों का मुनाफा हुआ्। लेकिन कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण यह सारा कारोबार बंद हो गया है। बालों से होने वाली मंदिरों की आय पर ग्रहण लग गया है, क्योंकि न तो श्रद्धालु मंदिर पहुंच पा रहे हैं और न ही अपना बाल दान कर पा रहे ह््ैं।
लेकिन आप ने कभी यो सोचा है कि इन कटे हुए बालों का क्या होता है? इनका इस्तेमाल कौन करता है और इन्हें इस्तेमाल लायक कैसे बनाया जाता है? और ये लंदन या किसी दूसरे पश्चिमी शहर के बाजार तक कैसे पहुंचते हैं?
भारतीय बालों की लंदन में मोटी कीमत
इन बालों की लंदन यात्रा का पहला सफर उस मंदिर से शुरू होता है, जहां ये चढ़ाए जाते ह््ैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय बालों की अधिक कीमत मिलती हैं, क्योंकि इन्हें मवर्जिन हेयरफ (अछूते बाल) कहा जाता है। इन्हें वर्जिन कहने के पीछे भी ठोस वजह है। ज्यादातर भारतीय बालों को रंगने या ड्राइ करने से दूर रहते ह््ैं। मंदिरों में बाल चढ़ाने वाले निम्न वर्गीय, मध्यम वर्गीय तो हेयर स्टाइलिंग भी नहीं कराते, इसलिए उनके बाल लगभग नैसर्गिक अवस्था में ही होते ह््ैं। इसके अलावा बचपन से बढ़ाए गए बालों में केराटीन की मात्रा अधिक होती है। इस प्रोटीन की वजह से बाल स्वस्थ रहते ह््ैं। इसीलिए इन्हें मवर्जिन हेयरफ कहा जाता है।

रासायनिक प्रतिक्रियाओं से गुजरते हैं बाल
मंदिर में चढ़ाए गए बालों को प्रॉसेसिंग के लिए कारखाने में ले जाया जाता है। प्रॉसेसिंग के पहले चरण में इन्हें हाथों से सुलझाया जाता है। हाथों से लाखों टन बालों को सुलझाना काफी कष्टकारी और समयसाध्य प्रक्रिया होती है। कारखाने में कामगार पतली सूइयों की मदद से इन्हें सुलझाते हैं, तब ये बाल प्रॉसेसिंग के अगले चरण के लिए तैयार हो पाते ह््ैं। सुलझाए जाने के बाद इन बालों को लोहे के एक कंघे से झाड़कर साफ किया जाता है। इसके बाद इन बालों को उनकी लंबाई के अनुसार अलग-अलग बंडल में बांधा जाता है। उसके बाद बालों के बंडलों कीटाणुरहित बनाने के लिए तनु अम्ल के घोल में डुबोया जाता है।
लंदन से कई देशों को होता है निर्यात
साफ किए गए बालों सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले बालों को ऑस्मोसिस बाथ कराया जाता है, ताकि उनके क्यूटिकल्स नष्ट हुए बिना उनपर लगे दाग-धब्बे छूट जाए्ं। इन साफ और स्वस्थ बालों से महिलाओं और पुरुषों के लिए रंग-बिरंगे बिग बनाए जाते हैं और उन्हें उन देशों को निर्यात किया जाता है, जहां इनकी काफी मांग होती है।
हर साल करोड़ों के बालों की बिक्री
आंध प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर से निकलने वाले बालों की हर साल करोड़ रुपये की बोली लगती है। साल 2016 जनवरी में हुई नीलामी के दौरान बालों के लिए अधिकतम 5.6 करोड़ रुपये की बोली लगी थी। हर साल यहां से करीब 3 टल बाल निकलता है। इस मंदिर में रोजाना करीब 20 हजार लोग मुंडन कराते ह््ैं। अच्छी क्वालिटी के बाल जहां 12 हजार रुपये किलो तक में बिकते हैं, वहीं कम क्वालिटी वाले 40 रुपये किलो मे्ं।

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