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लोग घरों में कैद, जानवर निकले शहर घूमने


मुंबई/जयपुर/ बाहर कोरोना का डर है और इंसान घरों में कैद है। सड़कों पर शोरगुल बंद है। हवा साफ है। ऐसे में चिड़ियों की चहचहाहट फिर से सुनाई दे रही है। अभी तक इंसान जंगलों में घूमने जाते थे अब जानवर शहरों में घूमने आ रहे ह््ैं। बंदरों के पंतग उड़ाने से लेकर सड़कों पर मोरों के नाचने के ऐसे ही कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ह््ैं।
बंदर ने की पतंगबाजी: यह बंदर एक घर की छत पर बैठा था, तभी पतंग कटी और मांझा उसके हाथ आ गया। फिर क्या था, बंदर ने किसी माहिर पतंगबाज की तरह डोर संभाली और पतंग को उड़ाना शुरू कर दिया। इस वीडियो को ट्विटर पर इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के ऑफिसर सुशांत नंदा ने शेयर किया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि बंदर को भी पतंग उड़ाने में मजा आ रहा है। हालांकि, यह वीडियो कब का है और कहां का है यह स्पष्ट नहीं है।
बंदरों की पूल पार्टी: एक्ट्रेस टिस्का चोपड़ा ने बंदरों की स्विमिंग पूल में मस्ती का वीडियो शेयर किया है। वीडियो में देखा जा सकता है कि बंदर इमारत की खिड़कियों से स्विमिंग पूल में छलांग लगाकर तैराकी कर रहे ह््ैं। टिस्का ने इन बंदरों का वीडियो अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर शेयर किया है। उन्होंने इनकी मस्ती को नाम दिया है- हैशटैग पूल पार्टी। कैप्शन में लिखा- वर्षों से देख रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं… मौका देखा और सही में कूद गए्।
सड़क पर बाघों का डेरा: मध्यप्रदेश के बालाघाट में स्वास्थ्यकर्मियों की टीम ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण कर लौट रही थी, तभी रास्ते में उनकी नजर सड़क पर आराम फरमाते बाघों के झुंड पर पड़ी। यह इलाका कान्हा नेशनल पार्क में आता है। इस समय पार्क बंद है। न वाहनों का शोरगुल, न पर्यटकों की चहल-पहल, ऐसे में जंगल के राजा बेखौफ होकर सड़क तक आकर चहलकदमी कर रहे ह््ैं। गाड़ी में बैठे स्वास्थ्यकर्मी ये दृश्य देख जहां रोमांचित हो रहे थे, वहीं डर भी रहे थे। एक दो नहीं चार बाघ उनकी आंखों के सामने थे।
पानी के हौद में बाघ का आराम: अलवर जिले के थानागाजी कस्बे के पास चुनिंदा लोगों के लिए मंगलवार को बड़ा ही रोमांचकारी अनुभव रहा। दरअसल, सरिस्का अभ्यारण्य में एक बाघिन सड़क से महज 20 फीट की दूरी पर ही नजर आई्। बाघिन करीब एक घंटे तक सड़क के आस-पास घूमती रही। गर्मी से बचने के लिए पानी के हौद में काफी देर आराम फरमाती रही।

नोएडा की सड़कों पर नील गाए, मुंबई में मोर
जंगल में मोर नाचे किसने देखा? लेकिन मुंबई में नाचते मोरों को आसानी से देखा जा रहा है। उधर, नोएडा के जीआईपी मॉल के बाहर जंगलों में घूमने वाली नीलगाय घूमती देखी गई्। हरिद्वार में सड़कों पर बारह सिंगा हिरणों का झुंड देखा गया। चंडीगढ़ के रिहायशी क्षेत्र में तुंदुआ तो केरल के वायनाड में हाथी सड़कों पर इत्मिनान से घूमते नजर आए्।

… तभी बहारे लौटेंगी
पर्यावरण में आज जो बदलाव हम देख रहे हैं, कया वह हमेशा स्थिर रहेंगे? सब ठीक होने पर हम प्रकृति के साथ कैसे पेश आएंगे? अब बात हम पर आती ही। जिस तरह मौजूदा समय में लोगों की जान बचाना प्राथमिता बना हुआ है, वैसे ही पर्यावरण के प्रति लोगों को चिंतित कराया जाना जरूरी है। इस महामारी ने एक बात साफ कर दी है कि मुश्किल घड़ी में सारी दुनिया एक साथ खड़ी होकर एक-दूसरे का साथ देने के लिए तैयार है। क्या यही जज्बा और इच्छाशक्ति हम पर्यावरण बचाने के लिए जाहिर नहीं कर सकते। उम्मीद है इस समय का अंधकार हम स्वच्छ और हरे-भरे वातावरण से मिटा देंगे, तभी असली मायने में बहारे लौटेंगी।

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