मुंबई- लॉकडाउन में रेलवे द्वारा यात्री सेवाएँ बंद होने से करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। इस अवधि में पश्चिम रेलवे को 267.27 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है लेकिन दूसरी ओर कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में पश्चिम रेलवे ने अब तक 1.61 मिलियन टन माल सप्लाई कर करोड़ों लोगों को राहत भी दी है। इस दौरान के कई जानी-अनजानी संस्थाएं और लोग भूखे और जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं लेकिन ये भी जानना जरूरी है कि मदद के लिए राशन कैसे आ रहा है? राज्यों की सीमाएं बंद हैं, जिलों के आपस में संपर्क टूट चुके हैं, ऐसे में देश को एक सूत्र से जोड़नेवाली भारतीय रेल ही संकटमोचक बनकर उभरी है।
मुंबई से पश्चिम और मध्य रेलवे ने देशभर
में सप्लाई जारी रखी है। पश्चिम रेलवे ने 22 मार्च से 4 अप्रैल तक 769
रेकों से देशभर में मालवहन किया। इस दौरान 1.61 मिलियन टन आवश्यक वस्तुओं
की आपूर्ति की है। 1940 मालगाड़ियों को अन्य रेलवे के साथ जोड़ा गया, जिनमें
952 ट्रेनें सौंपी गईं और 888 ट्रेनों को अलग-अलग इंटरचेंज पॉइंट पर ले
जाया गया। पश्चिम रेलवे की कुल 18 सेवाओंवाली 4 पार्सल एक्सप्रेस ट्रेनें
अपनी समय सारिणी के अनुसार देश के विभिन्न हिस्सों में अत्यावश्यक सामग्री
की आपूर्ति सुनिश्चित कर रही ह््ैं। देशभर में छोटे पार्सल कारों में
आवश्यक वस्तुओं, जैसे चिकित्सा आपूर्ति, चिकित्सा उपकरण, भोजन आदि के
परिवहन की जिम्मेदारी ली है। 31 मार्च से 15 अप्रैल के बीच 18 सेवाओं के
साथ चलनेवाली 4 पार्सल एक्सप्रेस ट्रेनों की योजना बनाई गई है। पश्चिम
रेलवे ने अपनी इन ट्रेनों के माध्यम से दूध उत्पाद, खाद्य तेल, मसाले,
किराने का सामान और बिस्किट, सूखी घास आदि जैसे जिंसों की ढुलाई की जा रही
है। दूध पाउडर, तरल दूध और अन्य सामान्य उपभोक्ता वस्तुओं जैसी आवश्यक
वस्तुओं की मांगों की पूर्ति करने के लिए पार्सल वैन / रेलवे मिल्क टैंकर
(आरएमटी) के 16 मिलेनियम पार्सल रेक देश के विभिन्न हिस्सों में भेजे गए
ह््ैं।