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हे राम ! भाजपाईयों का ये कैसा काम ? वोट यहां नोट वहां

भाजपा विधायकों, पार्षदों की नजर में इंसानियत से बडी पार्टी
भाजपाईयों ने इंसानियत का गला घोंटा
राष्ट्रवादी, शिवसेना पार्षदों का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में और भाजपा का प्रधानमंत्री कोष में
भाजपा नेताओं ने दान देने में किया भेदभाव
वोट पिंपरी चिंचवड की जनता का, नोट मोदी सरकार को


पिंपरी- कोरोना महामारी से पूरा विश्‍व लड रहा है। भारत भी जंग को मजबुती से लड रहा है। इस जंग में दानवीरों ने बढचढकर हिस्सा ले रहे है। केंद्र और राज्य सरकारें दोनों जंग की कमान संभाल रखी है। पिंपरी चिंचवड शहर के राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेताओं और 38 पार्षदों ने एक महिने का वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में दान किया। इसी तर्ज पर शिवसेना के सभी पार्षद व नेताओं ने मुख्यमंत्री राहत कोष में दान किया। लेकिन पिंपरी चिंचवड मनपा में सत्तारुढ भाजपा के करीबन 90 पार्षदों और भाजपा के दो विधायकों ने अपना एक महिने का वेतन प्रधानमंत्री राहत कोष में दान किया। ऐसा क्यों? महाराष्ट्र में अब भाजपा की सरकार नहीं। उद्धव ठाकरे की अगुवाई में आघाडी की सरकार है। फिर हम मुख्यमंत्री कोष में क्यों दे? प्रधानमंत्री कोष में देंगे? यही भावना के तहत भाजपाईयों ने मुख्यमंत्री नहीं प्रधानमंत्री कोष को चुना।
क्या कोरोना महामारी से लड रही राज्य सरकार की मदद करना भाजपाईयों का फर्ज नहीं बनता? भाजपाईयों ने इन्सानियत का गला घोंटा और इंसानियत से बडा पार्टी को माना। इसमें अब कोई किंतु परंतु की गुजांइश नहीं बचती। राज्य की सत्ता जाने के बाद क्या महाराष्ट्र की जनता से भाजपा वालों का मोहभंग हो गया? महाराष्ट्र की जनता के सामने फिर कभी वोट की भीख मांगने नहीं जाएंगे? पिंपरी चिंचवड शहर की जनता ने अपने वोटों के दान से मनपा की सत्ता पर काबिज की और 15 साल पुरानी राकांपा की सरकार को उखाड फेंकने का काम किया। उस जनता के लिए अगर मुख्यमंत्री कोष में दान देते तो सीधे महाराष्ट्र की जनता को राहत कम समय में मिलता। अब दिल्ली वालों को तो पूरा देश देखना है। वहां से राहत सामाग्री चलकर आते आते महिना बीत जाएगा। तब तक कोरोना का पलायन हो जाएगा और जनता अपनी रोजी रोटी से जुडी जाएगी। जनता ने दोनों भाजपा के विधायकों को दोबारा चुनकर भेजा। लेकिन आज जनता को भी भाजपाईयों का यह निर्णय रास नहीं आया। महाराष्ट्र की जनता के साथ भेदभाव से जोडकर इस देखा जा रहा है। दान में भी भेदभाव यह किसी के गले के नीचे से नहीं उतर रहा। माना भाजपाईयों के लिए मोदीजी आराध्य देवता, कुलदेवता से कम नहीं, मगर महामारी में राजनीति की बीमारी लाना क्या उचित है।
पिंपरी चिंचवड मनपा का चुनाव आगामी दो साल में होने जा रहा है। भाजपा वाले फिर एक बार जनता से वोट की भीख मांगने जाएंगे। उस समय जनता इस भेदभाव से जुडे सवालों की बौछार करेगी तो क्या जवाब देंगे। वोट हमारा नोट मोदी को ये कैसा अटपटा सवाल जनता के बीच से निकलकर आएगा। इसका जवाब भी भाजपाईयों को ढूंढकर रखना होगा। राष्ट्रवादी कांग्रेस के शहर अध्यक्ष संजोग वाघेरे को तो मानों बैठे बैठाए गेंद हाथ लग गई हो। उन्होंने गेंद को जोरदार उछाला और भाजपा वालों की नजर में इंसानियत से बडी पार्टी है ऐसा आरोप जड़ दिया। भाई किसी को राजनीति में मौका मिलेगा तो चौंका मारेगा ही। भाजपा वालों ने खुद शहर की जनता की नजर में गिर गए और अपनी अच्छी खासी किरकिरी करवा बैठे।

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