देशवासियों का प्रधानमंत्री से मोहभंग, 9 मिनट के ड्रामा से भड़का जनसैलाब
पिंपरी- पीएम मोदी ने देश के लोगों से अपील की है कि वे 5 अपैल को घर की लाइटें बंद करके, दरवाजे पर या बालकनी में खड़े रहकर 9 मिनट के लिए मोमबत्ती, दीया टॉर्च या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाए्ं। इस संबोधन को देशवासियों ने मोदी के 9 मिनट का ड्रामा की संज्ञा दी है। मोदी के संबोधन से लोगों को काफी उम्मीदें थी लेकिन प्रधानमंत्री के प्रति लोगों का मोहभंग हुआ और देखते ही देखते सोशल मीडिया में लोगों के गुस्से का सैलाब उमड पडा। देखिए लोगों ने इस पर क्या प्रतिक्रियां दी-
प्रधानमंत्रीजी! कोरोना वायरस है श्रीराम नहीं
कोरोना को राम समझ बैठ मोदी, क्या 5 अप्रैल को कोरोना के स्वागत में मनाई जाएगी दीपावली
जितना कोरोना से डर नहीं लगता उससे ज्यादा डर और आश्चर्य देश के प्रधानमंत्री मोदी के बातों से लगने लगा है। जहां 130 करोड जनता अपने देश के राजा से मदद की आशाएं लगा कर बैठी हो वहीं प्रधानमंत्री ऐसे अंधविश्वासी बातों से देश को संबांधित करके उनकी आशाओं को निराशा में बदल रहे है। मोदीजी आज पूरा देश महामारी भूख प्यास से संघर्ष कर रहा है। वहीं आप उनकी परेशानी दूर करने के बजाए दीया जलवा रहे है।
क्या आपने उनके बारे में सोचा है कि लॉकडाउन और कोरोना वायरस से आए दिन मौत हो रही है लोगों के घरों में मातम छाया है। वहीं कुछ लोग तो अिेंतम संस्कार भी अपने परिजनों का नहीं कर पाए। ऐसे हालात में कैंडल लाईट, मोमबत्ती, ताली, थाली, शंख की म्युूजिक देशवासियों से बजवायी जा रही है। हम तो यह सोचकर शर्मशार हो रहे है कि आपको हमने दो बार प्रधानमंत्री चुना। आज अपने मत पर पछतावा हो रहा है जिसे हमने आपको दान दिया। बडे अफसोस के साथ कहना पड रहा है कि अंधेरनगरी चौपट राजा।
लाखों लोगों के घरों में चूल्हे नहीं जल रहे और प्रधानमंत्री लोगों से दीए जलवा रहे है।
इस तरह की बात सारे देश को बोलना प्रधानमंत्री का काम नहीं। डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ को जरुरी सामान कैसे पहुंचे, भूख से मर रहे लोगों को अनाज कैसे मिले, हजारों मजदूर जो राज्यों की सीमाओं में फंसी है उनको उनके घर तक कैसे पहुंचाया जाए, हॉस्पिटल में भर्ती कोरोना के मरीजों को उच्चस्तरीय इलाज कैसे मिले इस बारे में प्रधानमंत्री सोचो, लोगों में अंधविश्वास न फैलाओ।
भाई लोगों मुझे उम्मीद थी कि मोदीजी दवाईयां, टेस्टिंग किट सरकार द्धारा की जा रही तैयारी के बारे में भूखे गरीब किसानों मजदूरों को कैसे मदद करेंगे इसके बारे में बताएंगे। लेकिन फिर वही चेक कर रहे है अभी देश में कितने अंधभक्त बेवकूफ बचे है।
22 मार्च रविवार के दिन छत्तीसगढ में नक्सली हमले में 21 शहीद जवानों की अर्थियां निकल रही थी उस दिन देश के प्रधानमंत्री 130 करोड देशवासियों से ताली, थाली, शंख और घंटी बजवा रहे थे। इससे बडी और शर्म की क्या बात हो सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी जी क्या यह समय उचित नहीं कि आप वादे के मुताबिक सब के खाते में 15-15 लाख रुपये डाल दें? या फिर इससे भी बुरे दिन का इंतजार है?
क्या प्रधानमंत्री जी कोरोना को भगवान श्रीराम समझ रहे है जो उसके आने के स्वागत में देशवासियों से दीए जलवा रहे है?
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प्रधानमंत्री का देश के नाम संबोधन के बाद सोशल मीडिया में आए 10 हजार प्रतिक्रिया में से कुछ सभ्य भाषाशैली प्रतिक्रिया को शामिल किया गया। बाकी असभ्य और मर्यादा विहिन कॉमेंट को शामिल नहीं किया है। इससे यह दिखाई दिया कि देशवासियों से प्रधानमंत्री से कुछ उम्मीद भरी बातें करने की उम्मीद थी मगर लोगों का महोभंग हुआ और गुस्से का उबाल आया।