चैती
छठ कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाने की प्रथा है। भगवान भास्कर
के उपासना के पर्व को बिहार के साथ साथ पूरे देश में उल्लासपूर्वक मनाया
जाता है। मान्यता है कि भगवान भास्कर की उपासना से संतान और मनोकामनाओं की
पूर्ति होती है। हालांकि कार्तिक माह में होने वाले है छठ की तुलना में
चैत्र माह में कम व्रती होते हैं लेकिन दोनों समय करने से पुण्य की
प्राप्ति बराबर ही होती है।
छठ स्वच्छता और शुद्धता का पर्व है। यह चार दिवसीय अनुष्ठान पर्व है। पहले दो दिन तो उपासक घर से ही पूजा करते हैं। यह महापर्व नहाय-खाए के साथ 28 मार्च को शुरू हो कर 31 मार्च को प्रात:कालीन अर्घ्य : 31 मार्च से सम्पन्न होगा ।
नहाय-खाए : 28 मार्च अप्रैलखरना-लोहंडा : 29 मार्च सायंकालीन अर्घ्य : 30 मार्च प्रात:कालीन अर्घ्य : 31 मार्च लेकिन
सायंकालीन और प्रात:कालीन अर्घ्य के लिए उपासक घाट पर जाते हैं। हालांकि
जिनके यहां छठ हो रहा है, वो अपना यहां साफ-सुथरी जगह में छोटा सा जलाशय
बनाकर भी अर्घ्य दे सकते हैं। स्थित भगवान भास्कर की धरती उलार में होने
वाले चैती छठ मेले का आयोजन भी रद्द कर दिया गया है।
देश में कोरोना वायरस से हुई मौतें को देखते हुए कई जिलों में लॉकडाउन की स्थिति है। छठ पर्व नदी या सरोवर में जाकर ही करने का प्रचलन है। हालांकि कोरोना वायरस के कहर के बीच सामाजिक दूरी का आह्वान को लेकर इस बार घर पर ही पर्व करना सुरक्षित रहेगा। छठ घाट पर होने वाले वाली भीड़ से बचने के लिए व्रती लोग घर पर ही सूर्य उपासना का महापर्व कर सकते हैं।