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लॉकडाउन में पुलिस की बरस रहीं लाठियां, एम्बुलेंस चालक की मौत

पुणे: लॉकडाउन में चल रहे पुलिस के डंडे, ऐंबुलेंस ड्राइवर की मौत से उठे सवाल कि क्या लॉकडाउन में पुलिस को आम जनता पर लाठियां भांजने का अधिकार सरकार और जिला प्रशासन ने दिया है या फिर नियम तोडने वाली जनता को समझाकर वापस घर भेजने का रास्ता भी है। पत्रकार, एम्बुलेंस चालक, जीवनोपयोगी वस्तुएं लेने जा रही जनता पर पुलिस इस कद्र लाठियां भांज रही हो मानो सामने वाला कोई चोर, डकैत हो। पुलिस का व्यवहार लोगों के प्रति एकदम घटिया किस्म का है। 26 मार्च के दिन पिंपरी कालेवाडी पुल के पास नाकाबंदी बैरेटेक लगाकार पुलिस खडी थी। पिंपरी के बाजू से एक सीनियर पत्रकार आ रहा था उसको पुलिस रोकती है। पत्रकार अपना परिचय देता है। आने जाने का कारण बताता है। लेकिन डंडा हाथ में लिए एक पुलिस कर्मचारी अभद्र व्यवहार करता है। मीडिया पर भी पाबंदी है। डंडा मुंह तक लाता है दोबारा दिखा तो डंडे से बात करुंगा। ऐसी भाषाशैली मानो पुलिस नहीं कोई गुंडा नाकाबंदी में खडा हो। यह घटना 11.30 बजे सुबह के आसपास की है। एक एंबुलेंस चालक की पीट पीटकर हत्या इस कारण हो जाती है क्योंकि वह पुलिस वालों को रिश्‍वत का पैसा नहीं देता। क्या पिंपरी चिंचवड पुलिस कमिश्‍नर बिश्‍नोई और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रामनाथ पोकले अपनी पुलिस की इस बर्बरता की ओर ध्यान देंगे? या बेकसुर जनता कोरोना और पुलिस की मार यूं ही झेलने पर मजबुर रहेगी?
        पुणे में 49 वर्षीय ऐंबुलेंस ड्राइवर की मौत पर जांच बिठाई गई है। बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के दौरान अपने वाहन से अवैध रूप से सवारियां लेने के संदेह में पुलिस ने ऐंबुलेंस ड्राइवर की कथित रूप से पिटाई की थी। पिंपरी चिंडवड के अडिशनल पुलिस कमिश्नर रामनाथ पोकाले ने बताया कि केस में जांच शुरू हो चुकी है। यह मामला तब सामने आया है कि जब ऐंबुलेंस ड्राइवर के बेटे ने बताया कि उन्हें एक टोल नाका में रोका गया था और पुलिसवाले ने उसके पिता की पिटाई की थी।
’पुलिसवाले मांग रहे थे रिश्वत, नहीं दी तो पीटा’
मृतक के बेटे ने दावा किया कि पुलिसवाले 3 हजार रुपये की रिश्वत मांग रहे थे। सोशल मीडिया में रोते हुए शख्स का विडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है लेकिन यह इस तरह का एकमात्र विडियो नहीं है। सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम विडियो सामने आ रहे हैं जिसमें लॉकडाउन के दौरान घर से निकलने वालों को पुलिस कहीं डंडे से पीट रही है तो कहीं मुर्गा बना रही है।

पिंपरी चिंडवड वाले विडियो से एक दिन पहले पंजाब पुलिस का विडियो वायरल हुआ था जिसमें एक कुछ पुलिसकर्मी एक लड़के के पैर पर लाठियां बरसा रही है जबकि लड़का दर्द से बिलख रहा है और दया की भीख मांग रहा है।
बदायूं पुलिस की मजदूरों के साथ बदसलूकी

दो दिन पहले बदायूं का विडियो भी सामने आया था जिसमें पुलिस बैग लादकर पैदल घर जाते प्रवासी मजदूरों को रेंगकर और पंजों के बल चलने को कह रही है। बाद में बदायूं एसएसपी अशोक त्रिपाठी ने मीडिया से बातचीत में घटना के लिए माफी मांगी थी। लॉकडाउन में जरूरी सेवाओं पर रोक नहीं लगाई गई है। बावजूद इसके पुलिस के पत्रकारों और डिलिवरी बॉयज को पीटने के मामले भी सामने आ रहे ह््ैं।
पत्रकार को भी नहीं बख्शा

इंदौर में दो पुलिसकर्मियों ने कर्फ्यू के ब्रेक के दौरान दूध खरीदने गए रिपोर्टर को पीटा जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। पुलिस में दर्ज शिकायत के अनुसार, हेल्थ रिपोर्टर अंतरिक्ष कर सिंह को पहले एएसआई केसी पराशर और कॉन्स्टेबल अतुल शर्मा ने रोका जो एक प्राइवेट एसयूवी में बैठे थे। अंतरिक्ष सिंह ने उन्हें अपना मीडिया कार्ड भी दिखाया और बताया कि इंदौर प्रशासन ने पत्रकारों को छूट दी है लेकिन इसके बावजूद उनकी पिटाई कर दी।
बच्चों के लिए दूध लेने गए शख्स को पीटा
दूसरी ओर, ग्रॉसरी का सामान खरीदने की कोशिश कर रहे कुछ लोगों को भी लाठी खानी पड़ी। कोलकाता में 35 साल को पुलिस की पिटाई के बाद दिल का दौरा पड़ा जिससे उसकी मौत हो गई्। वह अपने तीन बच्चों के लिए दूध खरीदने गया था। मृतक की पत्नी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने बाजार में उसे पीटा था जिसके बाद घर आकर वह बेहोश हो गया। पुलिस ने किसी तरह की मारपीट से इनकार किया। शख्स की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया कि शख्स की मौत क्रोनिक डायरिया और कार्डिऐक अरेस्ट से हुई्। हावड़ा पुलिस कमिश्नर ने जांच बिठाई है।

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