मुंबई- देश में लॉकडाउन के बाद रेलवे सेवाएं भी ठप्प हो गई। अब रेलवे के अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके सरकारी निवास पर नजरबंद कर दिया गया है। निवास के बाहर आरपीएफ का तगडा पहरा रखा गया है। उनके अनुमति के बिना एक भी रेलवे अधिकारी बाहर नहीं जा सकता और उनसे मिलने के लिए कोई बाहर से अंदर नहीं आ सकता। जरुरी सामान के लिए 24 घंटे में से केवल 1 घंटे और हर घर से एक यक्ति को अनुमति दी जा रही है। मुंबई और पुणे में रेलवे अधिकारियों की यह दशा कोरोना ने कर रखी है। सोसायटी हो या बंगाल गेट पर परमानंट ताला लटक रहा है।
21 दिनों के लॉकडाउन में लोगों का जीवन बदल रहा है। आम और खास सभी लोग घरों में कैद ह््ैं। मुंबई लोकल से 80 लाख यात्रियों को रोजाना सेवा देने वाले रेलवे के अधिकारी भी अब घरों में कैद ह््ैं। उनके घर के बाहर पहरा सामान्य लोगों से कहीं ज्यादा है।
गेट पर लगा है ताला
पश्चिम और मध्य रेलवे के ज्यादातर अधिकारी दक्षिण मुंबई के बधवार पार्क में रहते ह््ैं। यहां अलग-अलग ब्लॉक में दर्जनों कॉलोनी बनी हुई है, जिनमें हजारों रेलवे अधिकारी रहते ह््ैं। इन कॉलोनियों के बाहर गेट पर ताले लटक रहे हैं और अंदर किसी को भी नहीं जाने दिया जा रहा है। ऐसी ही एक कॉलोनी में जब हमने जाने की कोशिश की, तो ड्यूटी पर तैनात गार्ड ने ताला नहीं खोला। बताया कि इमर्जेंसी सर्विस में लगे साहब लोगों की गाड़ियों को भी कॉलोनी में आने की अनुमति नहीं है। बाहर वाले तो किसी भी सूरत में अंदर नहीं आ सकते ह््ैं।
24 घंटे में केवल एक बार छूट
एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर फोन पर बताया कि यहां कॉलोनी में रहने वाले सभी रेलवे अधिकारी अलग-अलग प्रांत से ह््ैं। हर किसी की रिश्तेदार विदेशों में रहते हैं, इसलिए जब कोरोना संक्रमण होने लगा, तभी गेट्स पर ताला लगाने और किसी बाहरी व्यक्ति को अनुमति नहीं देने का निर्णय ले लिए गया था। अब जब पूरी तरह से लॉकडाउन है तो जरूरी समान खरीदने के लिए हर घर में से केवल एक व्यक्ति को 24 घंटे में केवल एक बार बाहर जाने की अनुमति दी जाती है। रेलवे अधिकारी में बताया कि नियमों का उल्लंघन न हों, इसकी निगरानी वरिष्ठ अधिकारी रखता है। हर दो दिन में ड्यूटी का रॉस्टर बनता है।
आरपीएफ से लेनी होती है मंजूरी
जरूरी सेवाओं से जुड़े अधिकारियों को आरपीएफ के लैटर की जरूरत पड़ती है, तभी उन्हें कॉलोनी में आवाजाही की छूट दी जाती है। नियमों का उल्लंघन करने वालों को खझउ की धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है। कॉलोनी के बाहर गेट पर तमाम हिदायतों की एक लिस्ट चस्पा की गई है। इसमें बताया गया कि गेट से बाहर जाने के लिए आवास के अधिकारी से अनुमति लेना जरूरी है। रेल अधिकारियों को सेवा देने वाले आउट हाउस में रहने वाले कर्मचारियों को भी नियमों के दायरे में रखा गया है।
कर्मचारियों की छुट्टी
एक अधिकारी में बताया कि वाइरस संक्रमण के डर से कॉलोनी के आधे घरों में अधिकारियों ने हाउस हेल्प करने वाले स्टाफ़ को छुट्टी पर भेज दिया था। अधिकारी के अनुसार स्टाफ को पेड लीव पर भेजा है, जबकि दफ्तरों में हुक्म चलाने वाले साहब भी अब घरों में सब्ज़ियाँ काट रहे ह््ैं। अधिकारी ने बताया कि सारा समय घर में बीत रहा है लेकिन जब बोर्ड या डिविजन की कॉन्फ्रेंस के जरिए मीटिंग होती है, तब दफ़्तर की तरह ही घर से काम करना पड़ता है। इन दिनों रेलवे माल ढुलाई पर ध्यान दे रही है।
Tags रेलवे के अधिकारी घरों में नजरबंद
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