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फारुक को नजरबंदी से 7 महिने बाद रिहाई

श्रीनगर-केंद्र सरकार द्धारा जम्मू कश्मीर में 7 महिने पहले हटाए धारा 370 के बाद दंगा भडकने के डर से पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला को उनके घर में नजरबंद की थी। आज केंद्र सरकार के आदेशानुसार नजरबंदी से फारुक को रिहा किया गया। इस दौरान वो लोकसभा सत्र में हिस्सा भी नहीं ले सके।    जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की रिहाई के आदेश शुक्रवार को जारी हो गए। उन्हें 4 अगस्त 2019 की रात को नजरबंद किया गया था। अगले ही दिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा लिया गया। बाद में 15 सितंबर से उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में रखा गया। उनकी हिरासत अवधि तीन-तीन महीने बढ़ाने के आदेश तीन बार जारी हुए। पिछला आदेश 11 मार्च को ही जारी हुआ था। इसे सरकार ने वापस ले लिया है।82 वर्षीय फारुक अब्दुल्ला के साथ दो और पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी अलग-अलग जगहों पर हिरासत में रखा गया था। अभी उमर और महबूबा की रिहाई के आदेश नहीं हुए हैं। माना जा रहा है कि सरकार फारुक अब्दुल्ला की रिहाई से घाटी पर पड़ने वाले असर को देखना चाहती है। इसके बाद ही वह बाकी दो बड़े नेताओं की रिहाई पर कोई फैसला लेगी।8 विपक्षी पार्टियों ने रिहा करने की मांग की थी-9 मार्च को आठ विपक्षी पार्टियों ने केंद्र से मांग की थी कि जम्मू-कश्मीर के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को तत्काल रिहा किया जाए। विपक्षी नेताओं ने कहा कि ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं कि इन लोगों की गतिविधियों ने राष्ट्रीय हितों को खतरे में डाला हो। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार, तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी, जेडीएस नेता एचडी देवेगौड़ा, सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा, राजद नेता मनोज झा, पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने बयान जारी कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को रिहा करने की मांग की।

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