- समय का चुनाव हुआ गलत, सुविधाओं से स्टॉल धारक वंचित
- 10 वीं बोर्ड का पेपर, कोरोना वायरस और कडी धूप के कारण नागरिकों ने पवनाथडी से बनाई दूरियां
- इंद्रायणी थडी हिट, पवनाथडी फिस
- सत्ताधारी भाजपा के पदाधिकारी और अधिकारियों का नियोजन फेल, शहर की हुई जगहंसाई-प्रशांत शितोले
- सलाहगार नियुक्त करके पवनाथडी को बनाया कमाई का माध्यम
- स्टॉलधारक महिलाओं ने गिनाई कई खामिया, धंधा न होने की सुनाई व्यथा
- पवनाथडी की गई भैंस पानी में
- पवनाथडी की पेट से निकली इंद्रायणी थडी लयभारी
पिंपरी-पिंपरी चिंचवड मनपा की ओर से सांगवी के पीडब्ल्यूडी मैदान में बुधवार से शुरु पवनाथडी पूरी तरह से फ्लॉप हो गई यह कडुवा सत्य है। इस मेले में बडे अरमानों से चार पैसा कमाने की आस में किराएदार स्टॉल धारकों का बुरा हाल है। फायदा तो छोडो लागत तक नहीं निकल पा रहा है। सत्ताधारी भाजपा के पदाधिकारी और अधिकारियों के गलत समय पर गलत नियोजन का पवनाथडी भेंट चढ़ गया। पालिका का 50 लाख रुपये पानी में चला गया। पवनाथडी की भैंस पानी में चली गई। आओ सिलसिलेवार से बतातें है कि आखिर पवनाथडी फ्लॉप क्यों हुई। आज पालिका के स्थायी समिति के पूर्व सभापति प्रशांत शितोले के बुलाने पर पत्रकारों का एक शिष्टमंडल पवनाथडी के औचित्य निरिक्षण पर गया। पत्रकारों ने हर स्टॉल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिए। प्रशांत शितोले ने कहा कि सत्ताधारी भाजपा के पदाधिकारी और संबंधित अधिकारियों का नियोजन फेल हुआ। दिसंबर-जनवरी महिने में होने वाला पवनाथडी 10 वीं बोर्ड पेपर के समय मार्च महिने में लिया गया। स्टॉल धारकों की नियोजनकर्ताओं के प्रति तीव्र आक्रोश है। नियोजन व सुविधाओं का अभाव है। ग्राहकों के कम होने से भारी नुकसान होने की शिकायत है। इससे शहर की बदनामी हुइ है। जब तक राष्ट्रवादी कांग्रेस की सत्ता थी छोटी छोटी बातों पर बारिकी से ध्यान दिया जाता था। लेकिन सत्ताधारी भाजपा ने पवनाथडी को राम भरोसे छोडकर सत्यानाश कर दिया। पवनाथडी के पेट से निकली इंद्रायणी थडी ने महाराष्ट्र में शहर का नाम रोशन किया और पवनाथडी के नियोजनकर्ताओं ने शहर का नाम पूरा मिट्टी में मिला दिया। शहर की जगहंसाई हो रही है। बडे शर्म की बात है कि पवनाथडी मेले के लिए भी पालिका को सलाहगार की जरुरत पडती है। हर स्टॉल धारकों की एक ही शिकायत मिली कि नियोजनकर्ताओं ने गलत समय पर गलत नियोजन करके हमको खड्डे में डालने का काम किया। 10 वीं बोर्ड का पेपर शुरु है। कोरोना वायरस का भय है, कडी धूप का मौसम होने से लोग घरों से नहीं निकल रहे। पवनाथडी मेले में घुसने के लिए कई प्रवेश गेट है। सबसे आगे मांसाहारी विक्रेताओं का स्टॉल होने से जो ग्राहक आते है वहीं से खाकर लौट जाते है। पीछे बाजू शाकाहारी का स्टॉल होने से लोग वहां तक नहीं पहुंचते। जिसका ज्यादा फटका शाकाहारी स्टॉल विक्रेताओं को पडा है। पानी की सुविधा नहीं, स्वच्छता का अभाव है। कोकण जैसे दूर दराज से आए स्टॉल धारकों का तो बूरा हाल है। उनका कहना है कि उनका माल धूप के कारण बर्बाद हो गया है। खूले आसमान के नीचे स्नान करने की मजबुरी है। कमाई के मामले में हर स्टॉल धारकों का नो इन्कम का रोना है। मंडप ठेकेदार ने जो स्टॉल बनाकर दिया वो देखकर ऐसा लगता है मानो फूटपाथ पर कोई चद्दर डालकर शेड लगाया हो। कुल 1225 स्टॉल वितरित किए गए है। पवनाथडी नियोजन के लिए सलाहगार की नियुक्ति की गई। इस सलाहगार ने तो पवनाथडी को कर्मिर्शियल बना दिया है। शिलाई मशीन, फ्रिज, टू व्हिलर गाडियों का शो रुम बनाकर किराया वसूला गया। 34 प्रतिशत कम दर में ठेकेदार ने ठेका लिया। कई स्टॉलों को 7 हजार रुपये में बेचने की खबर भी छनकर आ रही है। कुल मिलाकर इंद्रायणी थडी हिट, पवनाथडी फिस कहा जाए तो कोई गलत नहीं होगा।