- पालिका आयुक्त, मुख्यलेखापाल और तात्कालीन स्थायी समिति सभापति की गलतियों का नतीजा
- राकांपा ने आयुक्त को पहले ही पत्र देकर किया था अलर्ट
- आरबीआई को पालिका आयुक्त भेज रहे है पत्र
पिंपरी- यस बैंक का दिवालियापन की खबर के बीच एक और चौंकाने वाली खबर सामने आयी जो पिंपरी चिंचवड शहर के करदाताओं के पैसों से जुडी है। यस बैंक में पालिका का कुल 984 करोड अटक गया है। पत्र के माध्यम से खतरे की घंटी को पहले से ही अवगत कराने के बावजूद आयुक्त के कान में जूं तक नहीं रेंगी। जिसका नतीजा यह हुआ कि करदाताओं की गाढी कमाई का पैसा अटक गया। इसके लिए जितना दोषी अधिकारी वर्ग है उतना ही सत्ताधारी भाजपा के पदाधिकारी और पालिका को कंट्रोल करने वाले दो भाजपा के स्थानीय नेता जवाबदार है। ऐसा आरोप आज पत्रकार परिषद में राकांपा संजोग वाघेरे, विरोधी पक्षनेता नाना काटे और कार्याध्यक्ष प्रशांत शितोले, राष्ट्रवादी महिला अध्यक्षा वैशाली कालभोर ने लगाए। राकांपा संजोग वाघेरे ने बताया कि 4 दिसंबर 2019 को आयुक्त को एक पत्र देकर मांग की थी कि यस बैंक 600 करोड रुपये के नुकसान में चल रही है। बैंक से सारा रुपया निकालकर खाता बंद करें और किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में खाता खोलकर कलेक्शन की जवाबदारी सौंपी जानी चाहिए। मगर आयुक्त ़श्रावण हर्डीकर पत्र पर गंभीरता नहीं दिखाई। अब अगर पालिका का जमापूंजि डूबता है तो उसके लिए सीधे आयुक्त, मुख्यलेखापाल राजेश लांडगे, पालिका में सत्ताधारी भाजपा के पदाधिकारी जिम्मेदार होंगे। प्रशांत शितोले ने खुलासा करते हुए कहा कि 2018 में जब ममता गायकवाड स्थायी समिति सभापति थी उस समय स्थायी समिति में प्रस्ताव पारित करके करारनामा के तहत यस बैंक को पालिका के 16 करसंकलन केंद्रों में हर दिन होने वाली टैक्स रुपी जमाराशि को संकलित करने के लिए ठेकेदार के रुप में नियुक्त किया गया था। यह वह पैसा होता है जो शहरवासी पानी टैक्स, संपत्ति टैक्स, बांधकाम अनुमति टैक्स इत्यादि के रुप में करसंकलन केंद्रों पर जमा करती है। यस बैंक के लोग इन केंद्रों में जाकर कलेक्शन किए पैसे को अपनी बैंक में जमा करती है और बदले में निर्धारित व्याज देती है। मजेदार बात यह है कि यस बैंक इस काम के लिए अपने द्धारा एक सब-ठेकेदार की नियुक्ति की थी। संजोग वाघेरे ने कहा कि इस घोटाले की जांच सीबीआई, ईडी से कराने की मांग उपमुख्यमंत्री अजित पवार से की गई है। पूर्व सभापति विलास मडेगिरी ने हमारे संवाददाता को बताया कि उनके कहने पर पालिका ने 400 करोड रुपये जनवरी में निकाल ली थी जो इस संकट की घडी में बच गया। इस बारे में आयुक्त से चर्चा हुई, आयुक्त आरबीआई को एक पत्र भेज रहे है। पत्रकारों ने जब आयुक्त से इस बारे में संपर्क साधने की कोशिश की तो उनका फोन बंद मिला। दाल में कुछ काला है या पूरी दाल काली है अब आने वाला वक्त बताएगा। लेकिन राष्ट्रवादी के अलर्ट पत्र के बावजूद आयुक्त ने गंभीरता क्यों नहीं दिखाई? इसी बैंक को आयुक्त क्यों चुने? सरकारी पैसे को सरकारी बैंक में क्यों नहीं रखा? इस बैंक को चुनने के पीछे राज क्या है और आयुक्त किसको फायदा पहुंचाने की कोशिश की? इन सवालों का जवाब अभी आना बाकी है। लेकिन इतना तय हो गया कि पालिका में जनता की गाढी कमाई के 984 करोड रुपये डूबने की पूरी आशंका है।