मुंबई. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली आज शाम रवाना होंगे। प्रोटोकाल के अनुसार हर मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री से मिलना होता है। दोनों हिन्दूत्व की धार वाले नेताओं के मिलन पर सबकी निगाहें टिकी है। सीएम बनने के बाद उद्धव की पीएम से यह दूसरी मुलाकात होगी। इससे पहले 6 दिसंबर को पुणे में हुई डीजीपी कॉन्फ्रेंस के दौरान दोनों नेता मिले थे। शिवसेना सांसद संजय राउत ने उद्धव से पीएम से मुलाकात की ट्वीट करके जानकारी दी थी।मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शुक्रवार शाम दिल्ली जा रहे हैं। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकत करेंगे। यह मुलाकात उस वक्त हो रही है, जब सीएम उद्धव, सरकार में अपने दो सहयोगियों राकांपा और कांग्रेस के विचारों से विपरीत राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर(एनपीआर) और भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में अपना रुख सामने रख चुके हैं। उद्धव ने भीमा कोरेगांव हिंसा से एक दिन पहले हुई यलगार परिषद की जांच एनआईए को सौंपी हैं, वहीं वे राज्य में एनपीआर को मंजूरी दे चुके हैं। जिसका राकांपा नेताओं ने खुलकर विरोध किया हैं। हालांकि, विवाद होने पर सीएम उद्धव सामने आये और उन्होंने, सीएए और एनआरसी (नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर) पर कहा कि दोनों अलग है और एनपीआर अलग है। सीएए के लागू होने पर किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है और राज्य एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा। केंद्र ने अब तक एनआरसी पर चर्चा नहीं की है।इसपर राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि वे उद्धव ठाकरे की पार्टी के साथ इस विषय पर चर्चा करेंगे। हम शिवसेना को मना लेंगे।पीएम से मिलने के बाद उद्धव की भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने की चर्चा है। राज्य में विधानसभा चुनाव सीएम पद को लेकर शिवसेना और भाजपा के बीच 30 साल का गठबंधन टूट गया था। इसके बाद भाजपा से अलग होकर शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी।भाजपा से विवाद के बावजूद बताया जाता है कि मोदी और उद्धव के बीच रिश्ते मधुर हैं। जब पीएम डीजीपी कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए पुणे आए थे, तो उद्धव मुंबई से यहां उन्हें रिसीव करने पहुंचे थे। विधानसभा चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भी पीएम ने आदित्य ठाकरे के लिए वर्ली में जनसभा की थी।महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की कुल 288 सीटों में से भाजपा ने 105 सीटों पर जीत दर्ज की थी। शिवसेना दूसरे नंबर पर रही। उसने 56 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, शरद पवार की पार्टी राकांपा तीसरे नंबर पर रही। राकांपा ने 54 सीटों पर जीत दर्ज की थी और कांग्रेस के खाते में 44 सीटें गई थीं।
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