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पिंपरी चिंचवड पलिका का 6628 करोड का बजट पेशपुरानी इमारतों पर ज्यादा टैक्स की गिरी गाज

पिंपरी- पिंपरी चिंचवड शहर की पुरानी और नई इमारतों में लगे संपित्त टैक्स दर की दूरियां कम करते हुए आज पालिका प्रशासन ने पुरानी इमारतों में अढाई गुना टैक्स वृद्धि करते हुए सन 2020-21 वर्ष के लिए 5 हजार 232 करोड मूल और केंद्र सरकार कीे परियोजना समेत 6 हजार 628 करोड का 38 वाँ बजट आज आयुक्त श्रावण हर्डीकर ने स्थायी समिति सभापति विलास मडेगिरी के हवाले किया।    पुरानी इमारतों के टैक्स दर में 2.5 प्रतिशत बढोत्तरी – पुरानी इमारतों में प्रापर्टी टैक्स का दर कम है। पालिका की तिजोरी भरने के लिए पुराने बांधकाम धारकों पर गाज गिरायी गई है। नई इमारतों का टैक्स ज्यादा है। नई-पुरानी का संतुलन बनाने के उद्देश्य से ऐसा निर्णय लिया गया। 2007 के पहले सभी पुरानी इमारतों पर वर्तमान टैक्स में अढाई गुना वृद्धि की गई। कुल 150 करोड की कमाई होने की संभावना है। इससे आने वाले पैसे से प्रलंबित विकास कामों को गति मिलेगी। बजट में किसी भी प्रकार का रोड मैप तैयार नहीं किया गया। केवल जीएसटी, बांधकाम विभाग और प्रॉपर्टी टैक्स से ज्यादा से ज्यादा उत्पन्न पाना पालिका के बजट में साफ दिखाई देता है।  उत्पन्न कहां कहां से आएगा ? – 5 हजार 232 करोड 56 लाख के मूल बजट में 5 करोड 77 लाख रुपये शेष दिखाया गया है। मतलब पिछले बजट की इतनी रकम खर्च नहीं हो सकी। साल भर में कहां से कितना पैसा आएगा उसका औसतमान 36.31 करोड मतलब 1900 करोड रुपये जमा होने का टारगेट रखा गया। जिसमें से 750 करोड संपत्ति कर से रकम आएगी तो बांधकाम परमिशन के माध्यम से 670 करोड आने की उम्मीद दर्शायी गई है। पानी टैक्स के माध्यम से 76 करोड तो निवेश पर व्याज से 222 करोड रुपये उत्पन्न आने की उम्मीद है।  खर्च कहां कहां होगा ?- बजट में खर्च के बाजू सार्वजनिक सुरक्षा और स्थापत्य कामों के लिए 2114 करोड रुपये खर्च का प्रस्ताव है। केंद्र सरकार पुरस्कृत योजनाओं के कामों के लिए पालिका हिस्सा 976 करोड रुपये निर्धारित किया गया। इसके अलावा पानीपूर्ति विभाग के लिए 488 करोड, वैद्यकीय विभाग के लिए 222 करोड, आरोग्य के लिए 349 करोड, प्राथमिक और उच्च शिक्षा के लिए 214 करोड, शहरी गरीबी निर्मुलन और समाज कल्याण के लिए 179 करोड रुपये रुपये आपेक्षित है। सातवां वेतन आयोग के लिए 80 करोड रुपये प्रस्तावित किया गया। स्मार्ट सिटी 150 करोड, अमृत अभियान 81 करोड, स्वच्छ भारत अभियान 1 करोड और प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 70 करोड खर्चा के बाजू दिखाया गया है। कुल मिलाकर बजट में किसी वर्ग को राहत नहीं दी गई। पुरानी इमारतों के धारकों पर अतिरिक्त टैक् स का बोझ डाला गया है। प्रॉपर्टी धारकों पर पालिका प्रशासन ने गाज गिराने का काम किया। इससे लोगों में मायूसी छायी है।

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