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केजरीवाल की हैट्रिक, दिल्ली में आप की सरकारनई

दिल्ली – अरविंद केजरीवाल का ‘झाड़ू’ एक बार फिर चल गया और इसने विपक्ष का सफाया कर दिया. आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे. 62 सीट जीतकर अपने विकास काम का डंका बजा डाला। कांग्रेस का पूरी तरह सूपडा साफ हो गया और जीरो रन पर आऊट हो गई। जबकि भाजपा 8 रन बनाने में कामयाब रही। आप को 5 सीटों का नुकसान हुआ। केजरीवाल के साथी और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनिष सिसोदिया शुरुआती रुझानों में कडी टक्कर से घिर गए थे लेकिन मनीष सिसोदिया ने 59,589 वोटों के साथ पटपड़गंज विधानसभा सीट से जीत हासिल की है। वहीं उनके खिलाफ भाजपा की ओर से खड़े रविंद्र सिंह नेगी को 57516 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार 2332 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर हैं। चुनाव जीतने वालों में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राघव चड्ढा, आतिशी, गोपाल राय, सत्येन्द्र जैन आदि शामिल हैं. आप का दामन छोडकर कांग्रेस का हाथ पकडने वाली चांदनी चौक से उम्मीदवार अलका लांबा बूरी तरह चुनाव हार गई। इसी तरह आप का साथ छोडकर कमल से दोस्ती करने वाले कपिल मिश्रा भी चुनाव हार गए। भाजपा 3 सीट से छलांग लगाकर 8 के आंकडे पर पहुंची। मगर केजरीवाल के झाडू ने पूरे दिल्ली की सफाई करते हुए भगवाधारी भागो मफलरदारी वापस आओ का शंखनाद की।    जीत पर देशभर की विपक्षी पार्टियों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बधाई दी और भाजपा की हार को सांप्रदायिक राजनीति की हार बताया है. इन प्रमुख विपक्षी पार्टियों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), सपा, शिवसेना, कांग्रेस डीएमके, एनसीपी, माकपा, भाकपा व अन्य पार्टियां शामिल हैं.
    भाजपा के दिल्ली ईकाई अध्यक्ष मनोज तिवारी ने अपने त्यागपत्र की पेशकश कर दी है। दिल्ली की जो तस्वीर सामने आई उसकी झलक एग्जिट पोल के आंकड़ों में ही मिल गई थी. 8 फरवरी को चुनाव खत्म होने के बाद हर एग्जिट पोल में अरविंद केजरीवाल को बहुमत दिया गया था. हालांकि, बीजेपी इन एग्जिट पोल को खारिज करती रही. लेकिन आज के नतीजों ने बीजेपी के दावों की हवा निकाल दी.इस जीत के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता को धन्यवाद करते हुए ‘आई लव यू’ कहा और भगवान हनुमान को भी शुक्रिया कहा. अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस जीत ने देश में नई राजनीति की शुरुआत की है, जो देश के लिए शुभ संकेत है. उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता ने ये संदेश दिया कि जो स्कूल बनाएगा उसी को वोट मिलेगा. जो बिजली, स्वास्थ्य और सड़कें बनाएगा उसी को वोट मिलेगा. जाहिर है कि स्कूल, बिजली और स्वास्य्थ आम आदमी पार्टी के मुख्य चुनाव मुद्दे रहे. वह इन मुद्दों से टस से मस नहीं हुई.पिछले विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी कांग्रेस को निराशा हाथ लगी. कांग्रेस के हाथ पिछली बार भी खाली रह गए थे. इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए दिल्ली कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने इस्तीफे की पेशकश की है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को हार जरूर मिली है लेकिन वे हताश नहीं हैं. सुभाष चोपड़ा ने अरविंद केजरीवाल को इस जीत के लिए बधाई दी. इसके साथ ही कहा कि ये जीत विज्ञापनों की बदौलत है.जानकारों की मानें तो आम आदमी पार्टी के पास दिल्ली के लिए चेहरा मौजूद था. जिसके काम को लोगों ने पिछले पांच साल देखा, जिसके चेहरे की बदौलत पार्टी ने लोगों से वोट मांगे. वहीं बीजेपी ने दिल्ली के लिए कोई चेहरा नहीं दिया. बिना चेहरे वाला प्रयोग 2017 के यूपी विधानसभा  में सफल हुआ लेकिन दिल्ली में ये नहीं चल सका.इस चुनाव के शुरुआत से ही आम आदमी पार्टी स्थानीय मुद्दों के साथ चुनाव में उतरी. जैसा कि पहले जिक्र किया गया पार्टी स्कूल, बिजली और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों के ऊपर लोगों से वोट मांगती रही. केजरीवाल ने यहां तक कहा कि अगर काम नहीं किया है तो वोट मत देना. यानी आप ने अपने पिछले पांच साल के काम को जनता के सामने रखा और उसी के हिसाब से वोट मांगने का काम किया. इन मुद्दों से आम आदमी पार्टी लोगों को कनेक्ट करने में कामयाब रही.वहीं बीजेपी ने राष्ट्रवाद, नागरिकता कानून और केंद्र सरकार के काम को आगे रखा. चुनाव के अंतिम दिनों में बीजेपी ने अचानक शाहीन बाग के मुद्दे पर आक्रामक हो गई. बीजेपी ने जनता के बीच बार-बार जाकर शाहीन बाग के पीछे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के सांठ-गांठ का आरोप लगाया. जानकारों के मुताबिक बीजेपी नेताओं के विवादित बयानों का भी उल्टा असर हुआ.

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