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एनआरसी की आढ में भीमराव के संविधान को बदलने की साजिश -उमर खालिद

21 जनवरी को एनआरसी, सीएए,एमपीआर के विरोध में जेल भरो आंदोलन

संसद में मोदी सरकार बहुमत में, सडकों पर हम बहुमत में,आजादी की दूसरी जंग शुरु- उमर

पिंपरी-सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. अब इस विरोध की एक पहचान दिल्ली का शाहीन बाग बन चुका है. जिसका दायरा अब पूरे देश में फैलता जा रहा है.   सीएए काले बिल एनआरसी और एमपीआर काली नीति के विरोध में कल पिपरी आंबेडकर चौक में महासभा का आयोजन किया गया. इस सभा में करीबन 10 हजार लोगों का जमावडा लगा. पुलिस प्रशासन के उस समय हाथ पांव फूल गया जब मालूम पडा कि जेएनयू के आंदोलनकारी उमर खालिद प्रमुख प्रवक्ता के रुप में पधारने वाले है. उनके आगमन होते ही मंच के नीचे पुलिस प्रशासन की ओर से एक पत्र थमाया गया जिसमें लिखा था कि शांति बनी रहे इसका विशेष ध्यान रखें.    उमर खालिद ने कहा कि देश में हर जगह शाहिन बाग होना चाहिए. ताकि बहरी सरकार के कानों में आवाज पहुंच सके. 2014 में लोगों ने कहा कि गुजरात का शेर तख्त पर बैठा है. हमें शेर नहीं इंसान चाहिए. क्योंकि शेर तो आदम होता है इंसान को खा जाता है. एनआरसी  की आढ में भीमराव के संविधान को बदलने की साजिश हो रही है. मोदी सरकार लोगों को बांटने का काम कर रही है. हमें महात्मा गांधी, भगतसिंग, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के बताए रास्ते पर चलकर एक बार फिर आजादी की लडाई लडने के लिए तैयार रहना होगा. 1947 में देश को आजाद करने की लडाई लडी गई अब एक बार फिर अपनी पहचान बरकरार रखने के लिए लडाई लडना होगा.भारत सरकार को अगर भारतरत्न देना है तो शहीद हेमंत करकरे को देना चाहिए. मोदी सरकार संसद में भले 303 आंकडे में हो मगर सडकों में हम बहुमत में है. वक्त आ गया है कि जनता विरोधी सरकार को कुर्सी से उखाड फेंकने की. उमर खालिद ने अपने साथी रोहित वेमूला के शहादत को याद करते हुए कहा कि उनकी मां को सरकार ने न्याय नहीं दे सकी. रोहित ने हैद्राबाद में छात्र आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे .उमर खालिद ने कहा कि मोदी सरकार दलित ,मुसलिम विरोधी है.उच्च शिक्षा तक इस समाज के बच्चे न पहुंच सके इसके लिए रोक लगा रही है.उन्होंने लोगों से अपील की है कि आपके घर में एनआरसी की टीम आए तो कोई भी जानकारी न दें. न ही उनका फॉर्म भरें.    सामाजिक कार्यकर्ता मारुति भापकर ने कहा कि यह लडाई केवल मुसलमानों की नहीं बल्कि सभी धर्म जातिय के लोगों की है. अपने ही देश में हमें नागरिकता देनी पड रही है.                                                                                                                                              मानव कांबळे ने कहा कि  आधार कार्ड,पॅन कार्ड, राशनकार्ड नागरिकता साबित करने के लिए काफी नहीं जो सरकार एनआरसी लेकर आयी है. फिर इन पहचानपत्रों का क्या कर? कई मौलाओं ने भी जोशिला भाषण व शेर सायरी देकर समां बांधने का काम किया.    22 जनवरी को सुप्रिम कोर्ट का निर्णय आने वाला है. तब तक हर दिन क्षेत्रिय आंदोलन करने का निर्णय लिया. पहले आज कालेवाडी में धरना आंदोलन होगा.फिर क्रम रुपीनगर, कुदलवाडी आदि परिसर में होगा. 22 जनवरी को जेल भरो आंदोलन होगा. पिंपरी चिंचवड शहर की 16 सामाजिक संघटनाओं ने आंदोलन को समर्थन दिया है.

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