नागपुर. भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस का गढ़ कहलाने वाले नागपुर में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। जिला परिषद चुनाव में कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को हरा दिया है। अब तक घोषित 58 सीटों में से 30 के परिणाम कांग्रेस के खाते में गए हैं। वहीं, भाजपा को सिर्फ 15 सीटें मिली हैं। नागपुर में आरएसएस का मुख्यालय है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पूर्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले का गृह क्षेत्र भी नागपुर है। यहां भाजपा की हार तीनों बड़े नेताओं के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
गडकरी के गांव में हारा भाजपा उम्मीदवार
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के गांव धापेवाड़ा से कांग्रेस के महेंद्र
डोंगरे विजयी हुए। वहीं, बावनकुले के कोराडी जिला परिषद सर्कल में कांग्रेस
के उमेदवार नाना कंभाले ने जीत दर्ज की। नाना कंभाले को 8223 वोट मिले
और भाजपा प्रत्याशी संजय मैन्द को 6923 वोट मिले। नागपुर के हिंगना से
पूर्व मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता रमेश बंग के बेटे दिनेश बंग
विजयी हुए। येनवा से शेतकरी कामगार पक्ष (शेकाप) के समीर उमप विजयी हुए।
आरोली- कोदामेड़ी से कांग्रेस के योगेश देशमुख और गोधनी से कांग्रेस की
ज्योति राऊत जीतीं। पथरई -वडंबा से कांग्रेस पार्टी की ज्येष्ठ सदस्य शांता
कुमरे तीसरी बार विजयी हुए।
गृहमंत्री अनिल देशमुख का बेटा चुनाव जीता
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के बेटे सलील देशमुख ने नागपुर जिले
में मंतपजरा जिला परिषद सीट से जीत हासिल की। येरखेड़ा सर्कल से भाजपा के
उमेदवार मोहन माकडे 158 वोटों से जीते। वहीं, भीलगांव पंचायत समिति सर्कल
से भाजपा के उमेश रड़के, कवठा पंचायत समिति सर्कल में कांग्रेस की उमेदवार
दिशा चनकापुरे 345 वोटो से जीतीं। कोराडी पंचायत समिति सर्कल से भाजपा की
सविता जिचकार, कारगांव क्षेत्र से कांग्रेस के उमेदवार शंकर डडमल जीते।
वहीं बड़ेगांव, बडगॉव,वाकोडी जिला परिषद सीट कांग्रेस ने जीती।
जिला परिषद चुनाव के नतीजे
जिला परिषद | भाजपा | शिवसेना | कांग्रेस | राकांपा | अन्य |
नागपुर (58 सीटें) | 15 | 1 | 30 | 10 | 2 |
भाजपा की हार के कारण
- राजनीतिक जानकारों की मानें, तो अपने गढ़ में भाजपा की हार की सबसे बड़ी वजह राकांपा-कांग्रेस का गठबंधन और शिवसेना का अलग से चुनाव लड़ना है। शिवसेना ने सबसे ज्यादा भाजपा के वोट बैंक में चोट पहुंचाई। पिछला चुनाव शिवसेना-भाजपा साथ मिलकर लड़े थे।
- कांग्रेस-राकांपा ने जिला परिषद पर कब्जे के लिए तीन मंत्रियों को मैदान में उतारा था, जिनमें मंत्री नितिन राऊत, अनिल देशमुख, सुनील केदार शामिल थे। शपथ ग्रहण के बाद से ही सभी लगातार इस इलाके में सक्रिय रहे, जबकि भाजपा नेता फडणवीस, नितिन गडकरी क्षेत्र में नहीं गए।