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स्वीडन के वैज्ञानिकों के लिए अन्ना हजारे का गांव बना प्ररेणा

स्टॉकहोम, 25 नवंबर (भाषा) पेय जल की किल्लत से जूझ रहे स्वीडन के बाल्टिक सागर में स्थित एक द्वीप पर भूजल पुनर्भरण परियोजना में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का गांव रालेगण सिद्धि एक प्रेरणा बन गया है। गर्मियों में पेय जल की किल्लत होना इस उत्तरी यूरोपीय देश के लिए असामान्य बात है क्योंकि यहां पर प्राकृतिक पानी भरपूर मात्रा में है। स्वीडन की मुख्य भूमि में साफ पानी की बड़ी-बड़ी झीले हैं जिससे एक करोड़ लोगों की आबादी को निर्बाध पानी की आपूर्ति की जाती है, लेकिन दक्षिणी गौटलैंड के स्टोरसुड्रेट की स्थिति काफी अलग है। यह स्वीडन का एक द्वीप है। इस इलाके में आम तौर पर 900 लोगों की आबादी रहती है, लेकिन गर्मियों में बड़ी संख्या में सैलानी वहां चले जाते हैं जिससे भूजल पर काफी दबाव पड़ता है। इस वजह से स्थानीय प्रशासन को घरों के निर्माण और उन गतिविधियों पर रोक लगानी पड़ी है जिनमें पानी पर निर्भरता रहती है। दरअसल, स्टोरसुड्रेट की मिट्टी की सतह पतली है। इस वजह से बारिश का पानी भूमि के अंदर नहीं जा पाता है और भूजल का पुनर्भरण नहीं कर पाता है। मिट्टी की पतली सतह की वजह से पानी तेजी से समुद्र में चला जाता है। भूजल पुनर्भरण परियोजना का नेतृत्व करने वाले आईवीएल स्वीडिश एनवायरमेंटल रिचर्स इंस्ट्टियूट में विशेषज्ञ स्टीफन फिलिप्सन ने यहां पत्रकारों के साथ बातचीत में बताया कि गौटलैंड के दक्षिणी हिस्से में पीने के पानी की भीषण किल्लत है। इसलिए उन्हें द्वीप के उत्तरी हिस्से से पानी लाना पड़ता है। हमने क्षेत्र में जल आपूर्ति के लिए एक ‘टेस्ट बेड’ स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि अगर यह यहां काम कर गया तो यह दुनिया में कहीं भी काम कर सकता है। आईवीएल में अन्य विशेषज्ञ रूपाली देशमुख ने बारिश के पानी को जमा करने की भारतीय ग्रामीणों के पारंपरिक ज्ञान का इस्तेमाल कर परियोजना शुरू करने का विचार दिया। इसके परिणामों का अध्ययन करने के लिए इसे नवीतम सूचना प्रौद्योगिकी के उपकरणों से जोड़ा जाए। फिलिप्सन ने बताया कि स्टोरसुड्रेट में पर्याप्त से ज्यादा बारिश हुई जो जल आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त था लेकिन चुनौती पानी को गर्मी तक संग्रह करने की थी। महाराष्ट्र के नागपुर से ताल्लुक रखने वाली देशमुख ने बताया कि रालेगण सिद्धि और स्टोरसुड्रेट की भौगोलिक स्थिति में समानाएं हैं। रालेगण सिद्धि में भूजल संचय के लिए पारंपरिक ज्ञान का इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने भारत के एक छोटे गांव से ज्ञान हासिल किया जो महाराष्ट्र में अन्ना हजारे का गांव रालेगण सिद्धि है। हम बारिश के पानी का संग्रहण करने के लिए चेक बांध, भूजल तालाब आदि पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं जिसका स्वीडन में कभी इस्तेमाल नहीं हुआ।

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