शुक्रवार शाम 7:45 बजे शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के नाम पर मुहर लगाई, शनिवार सुबह देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली घटनाक्रम से 2 सवाल उठे- पहला- क्या भाजपा-राकांपा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था, दूसरा- क्या राज्यपाल ने फडणवीस को विधानसभा में बहुमत साबित करने को कहा है महाराष्ट्र विधानसभा में 288 सीटें, बहुमत के लिए जरूरी 145; भाजपा के पास 105, राकांपा की 54, शिवसेना की 56 और कांग्रेस के पास 44 सीटें
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महाराष्ट्र से आशीष राय, चंद्रकांत शिंदे, दीप्ति राउत और दिल्ली से हेमंत अत्री. महाराष्ट्र में शनिवार सुबह बड़ा सियासी उलटफेर हुआ। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। वहीं, राकांपा नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई। 12 नवंबर को महाराष्ट्र में लगा राष्ट्रपति शासन शनिवार को 5:47 बजे हटा दिया गया। इसके बाद सुबह 7:30 बजे फडणवीस और पवार ने शपथ ली। अब 12:30 बजे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और शरद पवार प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।
राकांपा नेता नवाब मलिक ने कहा कि हमने उपस्थिति के लिए 40 विधायकों के दस्तखत कराए थे। शपथ के दौरान उन हस्ताक्षरों का गलत इस्तेमाल किया गया। भाजपा नेता गिरीश महाजन ने कहा कि हम 170 विधायकों के समर्थन से बहुमत साबित कर देंगे। अजित पवार ने अपने विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंप दिया है। वे ही राकांपा के विधायक दल के नेता हैं। इसका मतलब है कि हमें राकांपा के सभी विधायकों का समर्थन है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को आए थे। ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री की बात पर भाजपा-शिवसेना गठबंधन में दरार पड़ गई। इसके बाद कई दौर की बातचीत के बाद शिवसेना-राकांपा और कांग्रेस में सरकार बनाने को लेकर सहमति बनती दिखी। शुक्रवार रात राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने साफ कर दिया था कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर सहमति बन गई है। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि बातचीत में कई मुद्दे सुलझा लिए हैं, लेकिन कुछ मसलों पर बातचीत चल रही है।
राज्यपाल ने दिल्ली दौरा रद्द कर शपथ ग्रहण कराया
जानकारी के मुताबिक, अजित पवार 30 विधायकों के साथ अलग हो गए हैं और नई
पार्टी बना ली है। शरद पवार ने ट्वीट किया- अजित ने जो किया, वह राकांपा का
फैसला नहीं है। यह भी कहा जा रहा है कि राकांपा के कुछ बड़े नेता भाजपा
में शामिल हुए थे। उनकी ही इस घटनाक्रम में बड़ी भूमिका बताई जा रही है।
वहीं, शुक्रवार रात में राकांपा की बैठक में अजित पवार मौजूद नहीं थे। उसी दौरान भाजपा के साथ उनकी बातचीत आगे बढ़ी। दरअसल, शिवसेना 5 साल का मुख्यमंत्री चाहती थी। अजित की मुख्य आपत्ति यह थी कि शिवसेना को पूरे 5 साल का मुख्यमंत्री क्यों दिया जाए, जबकि हमारे (राकांपा के) पास भी बराबरी की सीटें हैं। राज्यपाल कोश्यारी दो दिन (शनिवार-रविवार) दिल्ली दौरा था। ऐन मौके पर उन्होंने कार्यक्रम रद्द किया और शनिवार सुबह शपथ ग्रहण करा दिया।
मोदी ने फडणवीस को बधाई दी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को ट्वीट कर बधाई दी। मोदी
ने कहा, “फडणवीस जी को मुख्यमंत्री और अजित पवार जी को उपमुख्यमंत्री पद की
शपथ लेने की बधाई। मुझे विश्वास है कि दोनों महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य
के लिए परिश्रम और लगन से काम करेंगे।”
‘शिवसेना की वजह से ऐसा हुआ’
फडणवीस ने कहा, ‘‘हमारे नेता मोदी जी और शाह जी का बहुत आभार। उन्होंने
फिर एक बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में मुझे सेवा करने का मौका
दिया। महाराष्ट्र की जनता ने एक स्पष्ट जनादेश दिया था। शिवसेना ने हमारे
साथ गठबंधन करने के बजाय दूसरी जगह गठबंधन करने का फैसला किया। शिवसेना की
वजह से ऐसी नौबत आई। महाराष्ट्र जैसे अगड़े राज्य को यह शोभा नहीं देता कि
यहां ज्यादा दिन राष्ट्रपति शासन लगा रहे। यहां ऐसी कोई सरकार बननी भी नहीं
चाहिए जो ज्यादा दिन चल न सके। मैं अजित पवार जी का शुक्रिया करना चाहूंगा
कि वे हमारे साथ आए। इसलिए हमने राज्यपाल जी को दावा पेश किया। राज्यपाल
जी ने राष्ट्रपति जी से चर्चा की कि शासन हटाने की अनुशंसा की जाए। इसलिए
राज्यपाल जी ने हमें शपथ के लिए बुलाया।’’ अजित पवार ने कहा कि हम किसानों
की समस्या हल करने के लिए साथ आए हैं।