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पालिका अधिकारी और ठेकेदार काम में बराबर के हिस्सेदार – श्रीरंग बारणे


सांसद बारणे ने दी पालिका आयुक्त को आखिरी चेतावनी
100 फीसदी टैंकर लॉबी बंद करो, 40 % पानी लिकेज प्रशासन की निष्क्रियता
आयुक्त को 15 दिनों की डेड लाईन, फिर होगा शिवसेना स्टाइल में आंदोलन
पानी पूर्ति विभाग के सभी टेंडर संदेहास्पद, पूरी जांच होनी चाहिए.

पिंपरी- पिंपरी चिंचवड शहर में पानी संकट के मुद्दे पर आज मावल के शिवसेना सांसद श्रीरंग आप्पा बारणे ने पालिका आयुक्त श्रावण हर्डीकर से मुलाकात करके आखिरी चेतावनी दी है कि 15 दिनों में शहर के सभी हिस्सों में पर्याप्त मात्रा में पानी पूर्ति करो अन्यथा भीषण परिणाम के लिए तैयार रहो.
श्री बारणे आज पत्रकार परिषद में आरोप लगाते हुए कहा कि पालिका अधिकारी अब ठेकेदार बन गए है हर काम में बराबर के हिस्सेदार हैं. पालिका ने पानी के नाम पर आज तक अरबों खरबों रुपये पानी की तरह बहाया मगर समस्या ज्यों की त्यों बनी है. जेएनयुआरएम योजना, अमृत योजना,कई बार पानी मीटर को बदलने, वृद्धि दर के टेंडर को निकालना यह सब पालिका तिजोरी को लूटमार करना है. अधिकारी और ठेकेदार हर काम में बराबर के हिस्सेदार है. यही कारण है कि पानी समस्या को कोई हल नहीं करना चाहता.
आयुक्त ने कहा कि 40 प्रतिशत पानी लीकेज है जिसके कारण पानी समस्या उत्पन्न हुई. हलांकि दर रोज 500 एमएलडी पानी लिया जा रहा है. बारणे ने आयुक्त से सवाल किया कि 40 प्रतिशत लिकेज यह प्रशासन की निष्क्रियता साबित करता है यह कोई प्राकृतिक लिकेज नहीं. हर बार प्रशासन टेक्निकल कारणों का हवाला देकर बच निकलता है. आयुक्त ने पानी समस्या पर सर्वदल विशेष महासभा बुलाने का आश्‍वासन दिया. मगर सांसद बारणे इससे संतुष्ट नहीं हुए और 15 दिनों की डेडलाइन देकर चेतावनी दी कि अगर समस्या जैसे थी रही तो परिणाम भोगने के लिए तैयार रहो. बारणे ने पत्रकारों के एक सवाल का जवाब में कहा कि आयुक्त का तबादला समस्या का समाधान नहीं बल्कि आयुक्त को सजा होनी चाहिए.
बारणे ने कहा कि शहर में बडे पैमाने में टैंकर लॉबी सक्रिय है जब तक यह लॉबी पर पूर्ण रुप से अंकुश नहीं लगाया जाता तब तक पानी समस्या बनी रहेगी. टैंकर से सप्लाई पानी आरोग्य के लिए खतरा है. टैंकर से आने वाले पानी की जांच होनी चाहिए. श्री बारणे ने यह भी कहा कि आज तक जितने भी टेंडर निकाले गए ठेकेदारों को पालने व संभालने के उद्देश्य से निकाला गया. सारे टेंडर प्रक्रिया संदेहास्पद है. इसकी जांच होनी चाहिए. बारणे ने यह भी साफ किया कि अनाधिकृत नल कनेक्शन धारकों पर आपराधिक मामला दर्ज के वो पक्षधर नहीं. नागरिक शहर का करदाता है. पानी मांगना उसका मौलिक अधिकार है. अगर प्रशासन नागरिकों को पर्याप्त मात्रा में पानी देने में असमर्थ है तो प्रशासन की निष्क्रियता साफ दिखाई देती है.

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