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महेशदादा का काम कम फेंकाफेकी ज्यादा- विलास लांडे


विलास लांडे का काम बोलता है, महेशदादा का झूठ बोलता है
मामा ने भांजे के सफेद झूठ को रंगे हाथों पकडा
5 सालों से भोसरी परिसर का विकास नहीं विनाश हुआ- विलास लांडे

पिंपरी- भोसरी विधानसभा में इन दिनों फेंकाफेकी की राजनीति चल रही है. जो काम हुआ नहीं उस काम को बताकर जनता को मूर्ख बनाया जा रहा है. विधायक महेशदादा लांडगे व उनके समर्थकों ने दो दिन पहले दावा किया था कि सिंगापुर की तर्ज पर भोसरी में सफारी पार्क को सरकार ने मंजूरी दी है. जबकि हकिकत यह है कि अभी तक इस बारे में कोई सरकार ने अध्यादेश (जीआर) नहीं निकाला. फिर क्या महेशदादा व उनके बगलबच्चे फेंकाफेंकी करके जनता को बेवकूफ बना रहे है. काम कम और गली गली फटा ढोल ज्यादा पीटा जा रहा है अगर कोई लिखित आदेश है तो जनता को दिखाओ. ऐसी खुली चुनौति मामा ने भांजे को दी है.
विलास लांडे ने आगे कहा कि पिछले 5 सालों से भोसरी विधानसभा का विकास नहीं विनाश हुआ है. अंधेरनगी चौपट राजा की तरह विकास काम चौपट हो गया. पालिका का मंजूर विकास स्वररुप में मोशी में गट नंबर 646 पर सरकारी गायरान जमीन पर लगभग 33.72 हेक्टर क्षेत्र आरक्षण क्र. 01/207 सफारी पार्क के रुप में आरक्षित करने के लिए प्रयास किया. सफारी पार्क आरक्षिींत भूखंड पुणे मनपा के स्वतंत्र कचरा डेपो के लिए मांगा गया. मोशी ग्रामस्थों पर 100 प्रतिशत कचरा लादा गया. जिसका दुष्परिणाम सबके सामने है. परिसर के नागरिकों का आरोग्य खतरे में पड गया है. हरदिन शहर का 800 मेट्रिक टन कचरा इस डेपो में डालने का काम हो रहा है. इसके बावजूद पुणे मनपा का कचरा भी इसी मोशी डेपो में डालने का चोर दरवाजे से प्रयास हुआ. लेकिन जागरुक नागरिकों ने भारी विरोध करके सत्ताधारियों के मंसूबे पर पानी फेर दिया. पुणे मनपा में भाजपा की सत्ता है तत्कालीन पालकमंत्री गिरीश बापट से मिलिभगत करके पुणे का कचरा मोशी डेपो में डालकर परिसर के ग्रामस्थों का स्वास्थ्य खतरे में डालने का भरसक प्रयास करने वालों का स्थानीय जनता ने विरोध किया तो स्थानीय विधायक महेशदादा लांडे को यू-टर्न लेना पडा.
सच्चाई क्या है? सफारी पार्क मामले में सच्चाई यह है कि अभी तक संबंधित भूखंड जिलाधिकारी कार्यालय से मनपा को हस्तांतरित नहीं किया गया. पर्यंटन मंत्री ने सफारी पार्क को मंजूरी दी ऐसा ढोल पीटा जा रहा है. जबकि हकिकत यह है कि अभी तक कोई लिखित मंजूरी नहीं. जीआर नहीं, डीपीआर नहीं, डेढ हजार करोड खर्च व मौखिक मंजूरी के दम पर दम दिखाने का काम भोसरी का पहलवान कर रहा है.

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