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आरपीआई को गठबंधन धर्म का पालन करना चाहिए – बबलू सोनकर

पिंपरी- महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना-आरपीआई का गठबंधन है. सीट का बंटवारा तीनों पार्टी के हाईकमान नेताओं की आपसी सहमति से हुआ है. आरपीआई को अब अपने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए भाजपा, शिवसेना उम्मीदवारों का प्रचार करना चाहिए और जीताकर लाना चाहिए. ऐसी अपील प्रदेश भाजपा उत्तर भारतीय सेल उपाध्यक्ष श्री धर्मेंद्र उर्फ बबलू सोनकर ने की.
हमारे संवाददाता से एक साक्षात्कार में श्री सोनकर ने आरपीआई के पिंपरी चिंचवड शहर नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्री सुरेश निकाळजे को गठबंधन धर्म का पालन करने की अपील की है. आपको बताते चलें कि श्री निकाळजे कल एक बयान जारी किया था जिसमें यह कहा कि आरपीआई के कार्यकर्ता, पदाधिकारियों के साथ वो भोसरी और चिंचवड के भाजपा उम्मीदवारों का ही प्रचार करेंगे. पिंपरी विधानसभा से शिवसेेना प्रत्याशी अ‍ॅड गौतम चाबुकस्वार का प्रचार नहीं करेंगे. श्री सोनकर ने निकाळजे के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि आखिर शिवसेना प्रत्याशी का पिंपरी में विरोध क्यों किया जा रहा है. गठबंधन के तीनों उम्मीदवारों के लिए प्रचार करना चाहिए और जीताने की कोशिश करनी चाहिए. अगर पिंपरी विधानसभा में विरोध बाकी जगह समर्थन की भूमिका पर आरपीआई अडी रहेगी तो गलत संदेश जाएगा. फिर चिंचवड और भोसरी क्षेत्र के शिवसेना कार्यकर्ता बदला लेने की भावना से भाजपा उम्मीदवार के प्रचार से दूरियां बना लेंगे जो लोकतंत्र के लिए घातक होगा. राज्य में जहां आरपीआई को बंटवारे में सीट मिली है वहां भाजपा -शिवसेना अपना वोट आरपीआई प्रत्याशी को ट्रान्सफर करा रही है. फिर पिंपरी चिंचवड शहर में आरपीआई का वोट भाजपा-शिवसेना उम्मीदवार को ट्रान्सफर होना चाहिए. यही गठबंधन धर्म की नीति है.आरपीआई अध्यक्ष सुरेश निकाळजे को अपने निर्णय पर एक बार पुर्नविचार करना चाहिए और गठबंधन धर्म का पालन करना चाहिए. ऐसी मार्मिक अपील बबलू सोनकर ने की.
आपको बताते चलें कि शिवसेना विधायक गौतम चाबुकस्वार और सुरेश निकाळजे के बीच छत्तीस का आकडा है. चाबुकस्वार के कारण कई बार जेल और कई संगीन धाराएं लगी ऐसा निकाळजे का मानना है. अब मौका बदला लेने का आया है. आरपीआई के शहर अध्यक्ष बनने के बाद निकाळजे का राजनीतिक कद भी बढा है. लेकिन जिम्मेदारियां भी बडी है. शहर अध्यक्ष पद की एक गरिमा होती है, व्यक्तिगत आपसी रंजिश कभी कभी बाजू में रखकर गठबंधन धर्म निभाना पडता है. अब देखना है कि सुरेश निकाळजे अपने बयान पर अडे रहते है या फिर अपने मित्र बबलू सोनकर की अपील में छुपी भावना का सम्मान करते है.

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