पिंपरी-भोसरी के निर्दल विधायक महेशदादा लांडगे को कल पालिका आयुक्त श्रावण हर्डीकर ने मायूस करके बैरंग चिट्ठी की तरह वापस लौटाया. शास्तीकर मामले में बिना कोई आश्वासन दिए आयुक्त ने दादा को कहा कि मेरे हाथ में कुछ नहीं. इस पर निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकार को है.
एक दिन पहले विरोधी पक्षनेता दत्ता काका साने ने शास्तीकर प्लस दंड पे दंड के मुद्दे पर कहा था कि कोई भी शहरवासी शास्तीकर दंड न भरें. अगर किसी की प्रॉपर्टी को सील किया जाता है तो उनको सूचित करें, सील तोडकर जेल जाना पसंद करुंगा. काका को चौका छक्का लगाते देख महेशदादा कल महापौर राहुल जाधव , पिंपरी चिंचवड लघु उद्योग संघटना अध्यक्ष संदीप बेलसरे, सुरेश म्हेत्रे, शहर सुधार समिति सभापति राजेंद्र लांडगे, लक्ष्मण उंडे, कुंदन गायकवाड आदि मान्यवरों के साथ आयुक्त से मिलने पहुंचे.
दादा ने अपने सौंपे ज्ञापन में मांग की है कि शास्तीकर पर जब तक कोई निर्णय नहीं आ जाता किसी से शास्तीकर प्लस दंड की रकम न ली जाए. जिसको नोटीस भेजी गई उन पर कार्रवाई न हो, 1001 स्क्वेयर फुट पर शास्तीकर का निर्णय नहीं आता तबतक निवासी, वाणिज्य इमारतों पर लगे शास्तीकर छोडकर मूल टैक्स ही वसूल किया जाए. साथ ही महासभा में प्रस्ताव पास करके शासन दरबार में भेजा जाए. ऐसी कई मांगे की.केवल मूल टैक्स लेने का आदेश दें.दादा की मांग जनहित में जायज है. हलांकि 5 साल निकल गए कई अधिवेशन सत्र बीत गए. अगर यह मुद्दा विधानसभा के अंदर उठाते तो शायद तीर निशाने पर लग जाता. मगर अब पछताए होत है क्या जब चिडिया चुंग गई खेत. समय निकलने के बाद आयुक्त को मिलना, पत्र देना ठीक उसी तरह माना जा रहा है कि गन्ना की जगह बांस पेर रहे है और ज्यूस की तमन्ना कर रहे है. आयुक्त ने गेंद राज्य सरकार के पाले में डालकर हाथ झटक लिया. महेशदादा जनहित के काम के लिए देर से आए पर दुरुस्त आए. इस बात की लोग प्रशंसा भी कर रहे है तो कोई इसे चुनावी स्टंटबाजी करार दे रहे है.
Tags आयुक्त कार्यालय से महेशदादा मायूस होकर लौटे
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