- इस बार मुख्यमंत्री के साथ पूजा करने का मौका लातूर के विट्ठल मारुती चव्हाण और उनकी पत्नी गंगूबाई चव्हाण को मिला है
- यह देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मणी की एक साथ पूजा होती है
- पंढरपुर. आषाढ़ी एकादशी के मौके पर शुक्रवार सुबह महाराष्ट्र के पवित्र तीर्थस्थल पंढ़रपुर में भगवान विट्ठल की पूजा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनकी पत्नी अमृता फडणवीस के हाथों की गई। इस बार मुख्यमंत्री के साथ पूजा करने का मौका लातूर के सुनीगांव के विट्ठल मारुती चव्हाण और उनकी पत्नी गंगूबाई चव्हाण को मिला है। यह देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मणी की एक साथ पूजा होती है।
तड़के तीन बजे पूजा में शामिल हुए मुख्यमंत्री
हर साल की तरह इस बार भी तड़के 3 बजे मुख्यमंत्री फडणवीस और उनकी पत्नी अमृता विट्ठल रुक्मिणी की महापूजा में शामिल हुए। इनके अलावा लाखों श्रद्धालु पंढ़रपुर पहुंचे थे। पूजा में शामिल होने के बाद सीएम ने कहा, “मैं जब भी पंढरपुर आता हूं मुझे खुशी होती है। भगवान विट्ठल का आशीर्वाद हमें मिलता है। मैंने विट्ठल भगवान से राज्य के सुजलाम-सुफलाम, अच्छी फसल और बारिश की कामना की है।” उन्होंने आगे कहा कि हम चंद्रभागा नदी को निर्मल करने का अभियान शुरू कर रहे हैं।
पिछले साल पूजा में शामिल नहीं हुए थे सीएम
बता दें कि पिछले साल मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मराठा समाज के विरोध के बाद मुख्यमंत्री ने यह महापूजा नहीं की थी। लेकिन अब राज्य में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण लागू हो चुका है। जिसे देखते हुए मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ अतुल भोसले ने मुख्यमंत्री को सम्मानित किया।
चव्हाण दंपत्ति को मुफ्त बस पास
राज्य परिवहन निगम की ओर से राज्यभर से आनेवाले वारकरियों के लिए 3500 बसों का इंतजाम किया गया था। वहीं मुख्यमंत्री के साथ पूजन करने वाले लातूर के चव्हाण दंपत्ति को एक साल का फ्री बस पास दिया गया।
कई मंत्री भी पूजा में हुए शामिल
इस महापूजा में पालकमंत्री विजयकुमार देशमुख, सामाजिक न्याय मंत्री सुरेश खाडे, जल संसाधन राज्य मंत्री विजय शिवरात्रे, कृषि मंत्री अनिल बोंडे, जल आपूर्ति और स्वच्छता मंत्री बबनराव लोणीकर भी शामिल हुए।
दक्षिण के काशी के रूप में प्रसिद्ध है पंढरपुर
दक्षिण के काशी के रुप में प्रसिद्ध पंढरपुर में भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मणी का मंदिर है। इसमें भगवान कृष्ण और देवी रुक्मणी के काले रंग की सुंदर मूर्तियां हैं। पंढरपुर को पंढारी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ये यात्राएं पिछले 800 सालों से लगातार आयोजित की जाती रही हैं। विट्ठल रुक्मणी मंदिर पूर्व दिशा में भीमा नदी के तट पर स्थित है। भीमा नदी को यहां पर चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है। आषाढ़, कार्तिक, चैत्र और माघ महीनों के दौरान नदी के किनारे बड़ा मेला लगता है, जिसमें लाखों लोग आते हैं। इन चार महीनों में शुक्ल एकादशी के दिन पंढरपुर की चार यात्राएं होती हैं। आषाढ़ माह की यात्रा को ‘महायात्रा’ या ‘दिंडी यात्रा’ कहते हैं। इस में महाराष्ट्र समेत देश के कोने-कोने से संतों की प्रतिमाएं, पादुकाएं पालकियों में सजाकर पैदल पंढरपुर आते हैं।
कैसे पहुंचें
हवाई मार्ग- पंढरपुर से सबसे पास में पुणे का एयरपोर्ट है। पंढरपुर से पुणे एयरपोर्ट की दूरी लगभग 200 कि.मी. है। वहां तक हवाई मार्ग से आकर सड़क मार्ग से पंढरपुर के विट्ठल रुक्मिणी मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग- पंढरपुर से लगभग 52 कि.मी. की दूरी पर कुर्डुवादी का रेलवे स्टेशन है। कुर्डुवादी से पंढरपुर के लिए आसानी से बस मिल जाती है।
सड़क मार्ग- पंढरपुर से पुणे की दूरी लगभग 200 कि.मी और मुंबई की दूरी लगभग 370 कि.मी. है। वहां तक अन्य साधन से आकर सड़क मार्ग से विट्ठल रुक्मणी मंदिर पहुंचा जा सकता है।