पिंपरी- पिंपरी चिंचवड मनपा के महापौर ने आज आयुक्त को फटकार लगाते हुए प्रशासन के कामकाज पर सवालिया निशान खडा किया. आयुक्त द्धारा भ्रष्ट कर्मचारियों की नियुक्ति पर की गई मेहरनजर पर महापौर ने तिरछी नजर दिखाते हुए नियुक्ति रद्द करने का फरमान जारी कर दिया है. अब देखना होगा कि महापौर के इस फरमान का प्रशासन के ऊपर कितना असर पडता है. या फिर महापौर तिरछी टोपी वाले बनकर रह जाते है. महापौर ने आज आयुक्त के नाम एक लिखी जिसमें कहा गया है कि ऐसे गलत व भ्रष्ट कर्मचारियों के पीठ थपथापने वाले निर्णय से पालिका की छवि खराब हुई है. जनता में गलत संदेश गया है. भ्रष्टाचार की परंपरा को प्रोत्साहन देने वाला निर्णय साबित होगा. पालिका के अन्य कर्मचारियों को गलत काम करने के लिए प्रेरित करेगा. महापौर ने आयुक्त आदेश दिया है कि कोर्ट के निर्णय आने तक नियुक्ति रदद की जानी चाहिए.
मालूम हो कि पालिका के 16 अधिकारी कर्मचारी जिसमें से 9 को एन्टी करफ्शन ने रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था उनको निलंबित किया गया था. मगर आयुक्त ने मेहरनजर दिखाते हुए निलंबन को रद्द करके पालिका सेवा में वापस नियुक्ति कर दी. सत्तारुढ नेता एकनाथ पवार ने इस बारे में कहा कि यह निर्णय प्रशासन का है. सत्ताधारियों से इस बारे में कोई चर्चा नहीं की गई. महापौर ने कहा कि नियुक्ति करना गलत निर्णय है. यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है. कोर्ट का निर्णय आने तक नियुक्ति रद्द की जाए. ऐसा आदेश महापौर ने आयुक्त को एक पत्र में दिया.
सामाजिक कार्यकर्ता ने इस नियुक्ति में लगभग 2 करोड का आर्थिक व्यवहार होने का आरोप लगाया. प्रशासन और सत्ताधारी भाजपा के 2 बडे पदाधिकारी, विरोधी पक्ष के कुछ नेताओं के शामिल होने का आरोप लगाया है. तीसरी ओर प्रशासन की ओर से कहा जा रहा है कि नियुक्ति नियमानुसार की गई है.
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