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भाऊ की बैठक से 19 भाजपा और 4 शिवसेना नगरसेवक गैरहाजिर

पहले मनोमिलन फिर बैठक, भाऊ समर्थक नगरसेवकों में भारी नाराजगी

पिंपरी- भाऊ-आप्पा के मनोमिलन निर्णय से भाऊ समर्थक भाजपा नगरसेवकों में जबर्दस्त नाराजगी दिखाई दे रही है. ये नगरसेवक अपने आपको ठगा ठगा महसुस कर रहे है. भाऊ ने हमारा वापर किया. मनोमिलन के निर्णय लेने से पहले कोई चर्चा नहीं की गई. विश्‍वास में लेकर निर्णय नहीं लिया ऐसा विरोधी सूर भाऊ समर्थक नगरसेवकों में सुनायी देने लगी है.
आओ पूरी घटनाक्रम को समझाने की कोशिश करते है.भाजपा शिवसेना युती के पहले 5 बारणे नगरसेवक और 4 शिवसेना नगरसेवक समेत कुछ भाऊ समर्थक भाजपा नगरसेवकों ने एक हस्ताक्षरित पत्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को देते है. इस पत्र में श्रीरंग बारणे को किसी भी हालत में टिकट न देने की अपील की जाती है, श्रीरंग बारणे चुनकर नहीं आ सकते. यह सीट भाजपा के लिए छोडी जाए और लक्ष्मण जगताप को टिकट दी जाए.ऐसी मांग की गई. साथ ही चेतावनी भी दी गई कि अगर बारणे को टिकट दिया गया तो हम उनका काम नहीं करेंगे. इसमें से 5 बारणे सरनेम नगरसेवकों का सांसद श्रीरंग बारणे से पारिवारिक संबंध है. इसके बावजूद भाऊ पर पूर्ण आस्था और विश्‍वास दिखाते हुए श्रीरंग बारणे से खुली दुश्मनी मोल ली. भाऊ ने भी आप्पा के विरोध में आक्रामक भूमिका में दिखे.
आखिरकार श्रीरंग बारणे को टिकट मिलता है. शिवसेना अकेले प्रचार करती है. भाजपा के नगरसेवक प्रचार से दूरियां बनाकर रखते है. इस बीच शिवसेना के सांसद संजय राऊत, निलम गोर्‍हे और जलसंपदा मंत्री गिरीश महाजन लक्ष्मण जगताप को मनाने के लिए शहर में आते है. लेकिन जगताप सभी को बैरंग चिटठी की तरह वापस भेज देते है. आप्पा ने 5 साल तक भाऊ पर जो आरोप लगाए थे उस बात को लेकर भाऊ के मन में गुस्सा था. मगर मुख्यमंत्री फडणवीस के हस्तक्षेप के चलते अचानक शाम को आप्पा-भाऊ की एक होटल में गुप्त मीटिंग होती है और दूसरे दिन पत्रकार परिषद में मनोमिलन होता है. इस मनोमिलन से भाऊ समर्थक नगरसेवकों को हैरानी होती है. क्योंकि इस बारे में उनको विश्‍वास में नहीं लिया गया. मनोमिलन के बाद उसी दिन रात को भाजपा नगरसेवकों की बैठक बुलायी जाती है जिसे लक्ष्मण जगताप को संबोधित करना था.
इस बैठक में भाऊ समर्थकों की नाराजगी साफ दिखाई दी और बैठक से गैरहाजिर रहेे. कौन नगरसेवक गैरहाजिर थे आओ बताते है. बाळासाहेब ओव्हाळ, सचिन चिंचवडे, मोना कुलकर्णी, अभिषेक बारणे, कैलाश बारणे, माया बारणे, सचिन बारणे, मनिषा पवार झामाबाई बारणे, ममता गायकवाड, तुषार कामठे, चंद्रकांत नखाते, बाबा त्रिभूवन, बापू काटे, माधवी राजापुरे, माई ढोरे, हर्षल ढोरे, संतोष कांबळे, जयश्री गावडे, शिवसेना से राहुल कलाटे, अमित गावडे, मिनल यादव, अश्‍विनी वाघमारे शामिल है. भाजपा के 19 नगरसेवक और शिवसेना के 5 नगरसेवक भाऊ द्धारा बुलायी गई बैठक में नहीं पहुंचे. इसमें से कुछ लोगों का निजी कारण भी हो सकता है. मगर भाऊ के मनमाने निर्णय के प्रति नगरसेवकों की नाराजगी खुलकर सामने आयी. कुछ नगरसेवक नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उनसे कोई चर्चा नहीं की गई न विश्‍वास में लेकर मनोमिलन हुआ. हमारा सिर्फ इस्तेमाल हुआ. पारिवारिक संबंध तक दांव पर लगा दिया. आप्पा से दुश्मनी मोल ली वो अलग. हमारी अपनी खुद की ताकत है अपने दम पर नगरसेवक बने है न कि किसी के रहमो करम पर
अब सवाल खडा होता है कि नगरसेवकों की यह नाराजगी, बैठक से दूरियां बनाना, अभी भी प्रचार में सक्रिय न होना आप्पा के लिए तो घातक है ही साथ ही भाऊ के कुशल नेतृत्व पर भी सवालिया निशान खडा कर रहा है. आने वाले दिनों में नगरसेवकों की यह नाराजगी एक बडे रुप में दिखाई दे तो कोई ताजुब नहीं.

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