पुणे-पुणे जिले में आजकर हो रही बर्थडे पार्टियों, गृह प्रवेश, आध्यात्मिक कार्यक्रमों, सालाना मेलों में अलग-तरह की सुगबुगाहट देखने को मिल रही है। यह सुगबुगाहट सिर्फ आम लोगों की नहीं है बल्कि चुनावी प्रत्याशियों की है जो कोई भी आयोजन हो, वोट मांगने का मौका नहीं छोड़ते और बिना बुलाए पहुंच जाते हैं। यहां तक कि इन नेताओं के समर्थक, अंतिम संस्कारों तक को नहीं छोड़ रहे।
भाषण रोकने की हिम्मत नहीं
राजनीतिक दलों ने एक इसके लिए एक टीम बना रखी है जो ऐसे कार्यक्रमों पर नजर रखती है। इनका पता लगने पर पहले से जमा भीड़ से वोट मांगने नेता पहुंच जाते हैं। हालांकि, इसका लोगों पर अच्छ असर नहीं पड़ रहा है। इस तरह निजी कार्यक्रमों में नेताओं के पहुंचने से उनकी असंवेदनशीलता पर लोग सवाल कर रहे हैं। शिरूर तहसील के मलथान गांव में रहने वाले शंकर शिंदे कहते हैं, ‘कई मौकों पर लंबे भाषण दिए जाते हैं। कोई उन्हें रोकने की हिम्मत नहीं करता। हम उनका उतावलापन समझते हैं लेकिन यह सही नहीं है।’
बिना निमंत्रण पहुंच जाते हैं नेता
शिवसेना के पुणे अध्यक्ष राम गावड़े यह मानते हैं कि पार्टी के कार्यकर्ता वोट मांगने के लिए अलग स्तर पर जा रहे हैं लेकिन वह कहते हैं दूसरी पार्टियां भी यही करती हैं। आमतौर पर नेता शादियां या दूसरे कार्यक्रमों में शामिल नहीं होते हैं लेकिन अब वे एक भी कार्यक्रम नहीं छोड़ते, चाहे उन्हें निमंत्रण मिला हो या नहीं। दरअसल, इस तरह से उन्हें लगभग 500 लोगों एक जगह पर मिलने की संभावना होती है।
भाषण रोकने की हिम्मत नहीं
राजनीतिक दलों ने एक इसके लिए एक टीम बना रखी है जो ऐसे कार्यक्रमों पर नजर रखती है। इनका पता लगने पर पहले से जमा भीड़ से वोट मांगने नेता पहुंच जाते हैं। हालांकि, इसका लोगों पर अच्छ असर नहीं पड़ रहा है। इस तरह निजी कार्यक्रमों में नेताओं के पहुंचने से उनकी असंवेदनशीलता पर लोग सवाल कर रहे हैं। शिरूर तहसील के मलथान गांव में रहने वाले शंकर शिंदे कहते हैं, ‘कई मौकों पर लंबे भाषण दिए जाते हैं। कोई उन्हें रोकने की हिम्मत नहीं करता। हम उनका उतावलापन समझते हैं लेकिन यह सही नहीं है।’
बिना निमंत्रण पहुंच जाते हैं नेता
शिवसेना के पुणे अध्यक्ष राम गावड़े यह मानते हैं कि पार्टी के कार्यकर्ता वोट मांगने के लिए अलग स्तर पर जा रहे हैं लेकिन वह कहते हैं दूसरी पार्टियां भी यही करती हैं। आमतौर पर नेता शादियां या दूसरे कार्यक्रमों में शामिल नहीं होते हैं लेकिन अब वे एक भी कार्यक्रम नहीं छोड़ते, चाहे उन्हें निमंत्रण मिला हो या नहीं। दरअसल, इस तरह से उन्हें लगभग 500 लोगों एक जगह पर मिलने की संभावना होती है।