पिंपरीे- पिंपरी चिंचवड मनपा के बहुचर्चित, बहुविवादित भोसरी हॉस्पिटल पर अब मुख्यमंत्री की जांच की आंच आ गई. आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वाघेरे की शिकायत पत्र को मुख्यंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बडी गंभीरता से लेते हुए संबंधित विभाग को हॉस्पिटल के निजीकरण से संबंधित जांच के आदेश दिए है. मुख्यमंत्री कार्यालय ने रमेश वाघेरे को एक एसएमएस भेजकर जांच के आदेश के बारे में अवगत कराया है.
पिंपरी चिंचवड मनपा प्रशासन की जवाबदारी बनती है कि शहर के नागरिकों को मूलभूत सुविधा मुहैया कराए. बिजली, पानी, साफसाफई के साथ आरोग्य वैद्यकीय सेवा भी सस्ती व मुफ्त उपलब्ध कराए. मनपा की आर्थिक स्थिति काफी मजबुत है. इसके बावजूद सत्ताधारियों के दबाव में बलि पडकर मनमाने तरीके से बिना चर्चा करवाए महासभा में इस हॉस्पिटल को ठेकेदारी से चलाने की मंजूरी दी गई. इसके पीछे बडा झोल है. 30 साल तक निजी हाथों में हॉस्पिटल का सौदा किया गया. सौदागर कौन है? किसको फायदा पहुंचाया गया यह बात भी अब किसी से छुपी नहीं. 4 फरवरी को मंजूरी दी गई. भारी विरोध हुआ. विपक्ष भी कुछ दिनों तक दिखावा के लिए शोरशराबा किया. अब आम्ही तुम्ही भाऊ भाऊ …..की राह पर चल पडे. हॉस्पिटल को लगने वाली मेडिकल साहित्य, स्टाफ आदि की सुविधा समेत हर वर्ष 29 करोड रुपये मनपा संबंधित संस्था को देगी. ऐसा करार हुआ है. अब सवाल उठता है कि सब कुछ मनपा को देना है तो हॉस्पिटल भी पालिका चलाए. मगर किसी के रोजी रोटी का 30 साल तक इंतजाम करने के मकसद से निजी संस्था को देने की मंजूरी दी गई है. महापौेर समेत संबंधित अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होगी. रमेश वाघेरे ने मुख्यमंत्री को पत्र में कहा है कि पालिका की आर्थिक हालत ठीकठाक है पालिका ही हॉिस्पिटल को वायसीएम की तर्ज पर चलाए. निजी हाथों में देने की जरुरत नही. इसको गंभीरता से मुख्यमंत्री ने लिया और जांच के आदेश दिया.
Tags भोसरी हॉस्पिटल पर मुख्यमंत्री की जांच की आंच
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