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3 हजार आरोपियों की जमानत होगी रद्द

मुंबई –फर्जी जमानतदार केस में नया मोड़ आ गया है। जांच अधिकारियों को ऐसे 3000 आरोपियों का नाम पता चला है जो फर्जी जमानतदार खड़ा कर जेल से बाहर आए। अब क्राइम ब्रांच इन सभी की जमानत रद्द करने के लिए कोर्ट में अर्जी देने वाली है। इस केस की जांच से जुड़े एक अधिकारी ने एनबीटी से कहा कि गिरफ्तार जमानतदारों से पूछताछ में पता चला कि इन्होंने मुंबई में सेशन कोर्ट के अलावा महाराष्ट्र के 20 मेट्रोपोलिटन कोर्ट से जुड़े केसों में आरोपियों को जेल से बाहर निकाला।
डीसीपी दिलीप सावंत ने बताया कि इन मेट्रोपोलिटन कोर्ट्स में कुर्ला, दादर, किला कोर्ट, गिरगांव, कल्याण, बेलापुर और वाशी के नाम प्रमुख हैं। डीसीपी ने कहा कि अदालतों से जुड़े जिम्मेदार लोगों को लिखा गया है कि चूंकि आरोपियों ने उनके साथ धोखाधड़ी की है, इसलिए अदालतें भी इस केस में शिकायतकर्ता बनें। क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के अनुसार, मुंबई में 54 सेशन कोर्ट हैं। हालांकि सभी की डायरी एक है। चूंकि सेशन कोर्ट में संगीन अपराध से जुड़े केस आते हैं, जिनमें अपराध साबित होने पर 7 साल की सजा हो सकती है, इसलिए जांच अधिकारियों के लिए फर्जी तरीके से जमानत पाए इन आरोपियों पर और भी नजर है। एनबीटी को पता चला है कि जो आरोपी फर्जी तरीके से जेल से बाहर आए, उनमें से एक ने कांदिवली में एक की हत्या की कोशिश की थी, जबकि दूसरे की पॉक्सो ऐक्ट के तहत गिरफ्तारी हुई थी।
परिवार की डिटेल पुलिस के पास
आरोपियों ने चूंकि जेल से बाहर आने के लिए फर्जी जमानतदारों के दस्तावेज कोर्ट में जमा किए, इसलिए एक आशंका थी कि शायद जमानत पर बाहर आए आरोपी पुलिस को आसानी से न मिलें। लेकिन क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने एनबीटी से कहा कि ऐसे आरोपियों को फिर से पकड़ना उनके लिए बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है। इस अधिकारी का कहना है कि जब हम किसी आरोपी को गिरफ्तार करते हैं, तो उसके परिवार के लोगों और दोस्तों का भी पूरा डिटेल लेते हैं। हम परिवार के ऐसे लोगों के जरिए हर आरोपी को ट्रेस कर लेंगे।
नई गिरफ्तारियां संभव
पिछले शुक्रवार को क्राइम ब्रांच की यूनिट-वन ने 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जो उन आरोपियों से संपर्क करते थे, जिन्हें कोर्ट ने जमानत तो दे दी होती थी लेकिन उन्‍हें जमानतदार नहीं मिलते थे। बाद में ऐसे आरोपियों से 50 से 70 हजार रुपये लेकर उनके लिए फर्जी जमानतदार तैयार कर दिए जाते थे। चूंकि जमानतदारों का पुलिस वेरिफिकेशन भी जरूरी होता है, इसलिए आरोपियों ने फर्जी पुलिस इंस्पेक्टर भी बना लिए थे। वे फर्जी सिग्नेचर कर कोर्ट को अपनी रिपोर्ट दे देते थे। क्राइम ब्रांच ने इस केस में कई और गिरफ्तारियों के संकेत दिए हैं।

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