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6 घंटे पानी पर महाचर्चा, खोदा पहाड निकली चूहिया


पिंपरी-पिंपरी चिंचवड शहर में पानी संकट पर हाहाकार मचा है. आज महासभा में 8 घंटे महाचर्चा हुई. सभीे दलों के नगरसेवक पानी संकट को लेकर प्रशासन को निशाने पर लिए-+. महासभा में कोई ठोस निर्णय लेने की उम्मीद सबको थी. प्रशासन की ओर से पानी संकट पर योग्य खुलासा आने की भी उम्मीद बंधी थी. दोषी अधिकारी, कर्मचारियों पर आयुक्त की ओर से कार्रवाई की जाने की उम्मीद थी. मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ. प्रशासन की ओर से कोई खुलासा तक नहीं दिया गया कि आखिर पानी संकट क्यों है? दोषी कौन है? पीठासीन अधिकारी महापौर राहुल जाधव ने पानी संकट जल्द हल करने की चेतावनी प्रशासन को देकर महासभा 31 अक्टूबर दोपहर 2 बजे तक स्थगित करने की घोषणा की. मतलब खोदा पहाड निकली चूहिया.
आज दोपहर 2 बजे महासभा की शुरुआत हुई. सत्तापक्ष की ओर से एकनाथ पवार, सीमा सावळे ने कमान संभाली तो विपक्ष की ओर से राष्ट्रवादी कांग्रेस के विरोधीपक्षनेता दत्ता साने, मंगला कदम, योगेश बहल ने मोर्चा संभाला. शिवसेना की ओर से राहुल कलाटे और मनसे की ओर से सचिन चिखले मैदान में डटे रहे. चर्चा की शुरुआत नगरसेविका अश्‍विनी चिंचवडे से हुई. इसके बाद निता पाडाळे बोली कि कालेवाडी परिसर में नई पानी टंकी बनाने का प्रस्ताव मंजूर है. वर्क्स ऑर्डर पर मामला लटका है. कालेवाडी में अवैध नलकनेक्शन की भरमार है. परिसर में पानी कम दाब में आता है. अधिकारी श्री तांबे एक गोडबोले अधिकारी है. मीठा बोलते है लेकिन काम कुछ नहीं करते. ब प्रभाग की बैठक में नहीं आते. योगेश बहल ने कहा कि शहर की ओर भाजपा के विधायक, पालकमंत्री का ध्यान नहीं है. पवना बांध 90 प्रतिशत भरा है फिर भी अक्टूबर महिने में पानी संकट का होना आश्‍चर्य है पानी कहां जाता है.बिल्डरो ंंको एनओसी कौन दे रहा है? प्रशासन पर सत्ताधारियों, आयुक्त का कंट्रोल नहीं है. मंगला कदम ने कहा कि रावेत पंपिंग स्टेशन जैसा एक नया स्टेशन तैयार करने की जरुरत है. 30 प्रतिशत पानी लीकेज, 30 प्रतिशत चोरी. 30 प्रतिशत अवैध नलकनेक्शन पानी समस्या के लिए जवाबदार है. राष्ट्रवादी के ही भाऊसाहेब भोईर ने कहा कि आयुक्त की नीति, उद्देश्य साफ नहीं. भविष्य में पानी के लिए युद्ध होगा.पानी के लिए हर साल 80 करोड बजट निर्धारित है प्रशासन के काम करने की मानसिकता नहीं. शहर में डेढ लाख अवैध नलकनेक्शन है. 40 प्रतिशत पानी चोरी के प्रमाण है. भाजपा के चंद्रकांत नखाते ने कहा कि कुछ अधिकारी अच्छे कुछ चोर है.केवल गुमराह करने का काम करते है. सुनिता तापकीर ने भी अवैध नलकनेक्शन होने का दावा की. एक सोसायटी में 4-5 नलकनेक्शन है. भाजपा की नगरसेविका सीमा सावळे ने पानी संकट के लिए राष्ट्रवादी को दोषी ठहराते हुए कही कि उनके छत्रछाया में पल रहे एक ठेकेदार को पानी छोडने का ठेका है, चुनाव आ रहा है. भाजपा को बदनाम करने के लिए कम पानी छोडने का षडयंत्र है. अवैध बांधकाम को नलकनेक्शन दिया गया. शिवसेना के राहुल कलाटे ने कहा कि बिल्डरों का पहले एनओसी बंद किया गया फिर एनओसी दिया गया. किसके कहने पर यह चल रहा है.अधिकारी इसे गोपनीय बताकर पल्ला झाड रहे है. आजतक पानी समस्या के लिए दोषी किन अधिकारी पर कार्रवाई हुई ? ऐसा सवाल आयुक्त से किया. विरोधी नेता दत्ता साने ने कहा कि दोषी ठेकेदार पर कार्रवाई हो चाहे कोई भी हो. मगर ठोस प्रमाण के साथ हो. प्रशासन का पानी पर नियोजन शुन्य है.पुणे जिला नियोजन समिति की बैठक में शहर का एक भी विधायक, सांसद उपस्थित नहीं था. यह र्दुदैव की बात है. भाजपा के दोनों विधायक पानी समस्या शीघ्र हल करने की चेतावनी प्रशासन को दी. महापौर को आंदोलन करने की घोषणा करनी पडी.फिर भी समस्या हल नही हुई .मतलब प्रशासन पर सत्ताधारी भाजपा का कंट्रोल नहीं है. समस्या 8 दिनों में हल नहीं हुई तो अगली महासभा चलने नहीं देगे ऐसी चेतावनी दत्ता साने ने दी. सत्तारुढ नेता एकनाथ पवार ने पानी समस्या के लिए राष्ट्रवादी को ही दोषी ठहराया. पानी तेरा कैसा रंग का डायलॉग मारते हुए कहा कि लोकसभा, विधानसभा का चुनाव आ रहा है. विरोधी की ओर से भाजपा को बदनाम करने का माहौल तैयार किया जा रहा है.पानी विभाग में जो अधिकारी अच्छा काम करें उसे एक पदोन्नती और दो इन्क्रीमेंट दो. जो पानी विभाग मे काम करना नहीं चाहता उसका प्रोमोशन रोका जाए.काम की जवाबदारी निर्धारित की जानी चाहिए. दोषी पाए जाने पर कर्मचारी का निलंबन होना चाहिए. 8 दिनों में पानी समस्या हल नहीं होती तो संबंधित पर निलंबन की कार्रवाई की जानी चाहिए. 31 अक्टूबर तक महासभा स्थगित करने का प्रस्ताव एकनाथ पवार ने रखा जिस पर नामदेव ढाके ने अनुमोदन दिया. महापौर ने 31 अक्टूबर तक सभा स्थगित करने की घोषणा की. जो नगरसेवक 8 घंटे अपने वॉर्ड में पानी की समस्या पर गला फाडक चिल्लाते नजर आए वो जाते समय अपने आप को ठगा ठगा महसुस कर रहे थे. भाजपा में भी दो गुट खुलकर सामने दिखा. भाजप के नगरसेवक अपनी ही पार्टी के कामकाज, प्रशासन पर नियंत्रण न होने का आरोप लगाए. कुल मिलाकर खोदा पहाड निकली चूहिया वाली बात हुई.

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