उत्तर प्रदेश की योगी कैबिनेट ने मंगलवार को इलाहाबाद शहर का नाम बदलकर प्रयागराज करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी. इसके साथ ही 444 साल बाद एक बार फिर प्रयागराज को उसका अपना पुराना नाम मिल गया. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की वजह से इसे ऐतिहासिक रूप से तीर्थराज प्रयाग भी कहते हैं. रामचरित मानस जैसे पौराणिक ग्रंथों में भी प्रयागराज का जिक्र है. कहा जाता है कि कभी संगम के ही जल से देश के तमाम राजाओं-महाराजाओं का अभिषेक हुआ करता था.समय बीता और मुगलों का शासन आया. मुगल बादशाह अकबर ने 444 साल पहले 1574 में प्रयागराज का नाम बदलकर अल्लाहाबाद कर दिया. कालांतर में ये नाम इलाहाबाद हो गया. इसका जिक्र अकबरनामा और आईने अकबरी में भी किया गया है. वैसे धर्म के केंद्र के अलावा इलाहाबाद पढ़ाई के साथ राजनीति का भी अहम केंद्र रहा. आजादी से पहले जहां जवाहर लाल नेहरू की जन्मस्थली होने के कारण यहां स्थित आनंद भवन आजादी की लड़ाई और सत्ता के केंद्र में रहा.वहीं देश आजाद होने के बाद इलाहाबाद ने पढ़ाई में ’पूर्व का कैम्ब्रिज’ दर्जा हासिल किया. इस शहर ने पूर्वांचल के कई छात्रों को जीवन में आगे बढ़ने और देश की ब्यूरोक्रैसी में अहम किरदार अदा करने की प्रेरणा दी. यही नहीं हिंदी के कई सहित्यकार भी यहीं पैदा हुए और बुलंदियों पर पहुंचे. सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का भी जन्म इलाहाबाद में ही हुआ. इस बीच इलाहाबाद विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला कुंभ का भी गवाह बनता रहा.
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