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पुणेः 13 दिनों में आए 207 डेंगू के मामले, इलाके में दहशत

पुणे-इस महीने अभी तक 13 दिनों के अंदर महाराष्ट्र के पुणे शहर में डेंगू के 207 मामले सामने आ चुके हैं। इतनी बड़ी संख्या में डेंगू के मामले बढ़ने से लोगों में डर फैल गया है। मॉनसून खत्म होने के बाद कुछ इलाकों में हुई बूंदाबांदी, दिन और रात के तापमान में अंतर, कंस्ट्रक्शन साइट्स पर जमा पानी सहित कई दूसरे कारणों के कारण यहां डेंगू लगातार हावी हो रहा है।पुणे महानगर पालिका के कीट नियंत्रण विभाग के हेड संजीव वावरे ने बताया कि अधिकांश डेंगू के मामले शहर के किनारे बसे इलाकों से आए हैं। इसके अलावा मुख्य शहर के कुछ इलाके भी प्रभावित हैं। अगर बीते दो महीनों की तुलना करें तो इधर डेंगू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। 15 वर्षों में पहली बार डेंगू के इतने मामले-पुणे में बीते साल 2017 में डेंगू के 1,000 कंफर्म मामले सामने आए थे। बीते 15 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है जब 13 दिनों में इतनी बड़ी संख्या में डेंगू के केस मिले हैं। सबसे ज्यादा डेंगू का डर युवाओं में बच्चों को सता रहा है। जो मामले मिले हैं उनमें 25 से 34 वर्ष के और 15 से 24 की उम्र के बच्चे हैं। किनारे बसे इलाकों में डेंगू फैलना आम बात है लेकिन हैरानी की बात है कि डेंगू के जितने भी मामले अभी तक सामने आए हैं उनमें से 60 फीसदी शहर के आवासीय इलाकों के हैं। सबसे ज्यादा डेंगू का प्रभाव चार वॉर्डों धनकवडी के सहाकरनगर, हदपसर के मुंधवा, अहमदनगर रोड के वाडगांवशेरी और भवानी पेट में पड़ा है।खराब प्लानिंग का है यह नतीजा-वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ शरद अगरखेडकर ने बताया कि शहर के किनारे बसे इलाके संक्रमण और संचारी रोगों के एंटर पॉइंट होते हैं। शहर विकास की खराब प्लानिंग का नतीजा है कि यहां साफ सफाई और स्वच्छता की कमी है। लोग ऐसे इलाकों में रह रहे हैं जिससे मच्छरजनित और जल जनित बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं। कुछ इलाकों में पानी की कमी है। लोग पानी स्टोर करके रखे हैं। बिना ढके हुए कंटेनर्स में पानी रखा जाता है। इनमें डेंगू का लार्वा पनपता है।
नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी के सीनियर साइंटिस्ट ने कहा, ‘मुंबई में बहुत गर्मी और उमस होती है। पुणे के मौसम में भी बहुत उतार-चढ़ाव होता है। मौसम का यही उतार-चढ़ाव वायरस को पनपने में मदद करता है। पारिस्थितिकी जलवायु की स्थिति भी इसका एक बड़ा कारण है जब बीमारी लाने वाला मच्छर हो।’ कैसे फैलता है डेंगू  डेंगू बुखार से पीड़ित मरीज के खून में डेंगू वायरस बहुत ज्यादा मात्रा में होता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू के किसी मरीज को काटता है तो वह उस मरीज का खून चूसता है। खून के साथ डेंगू वायरस भी मच्छर के शरीर में चला जाता है। जब डेंगू वायरस वाला वह मच्छर किसी और इंसान को काटता है तो उससे वह वायरस उस इंसान के शरीर में पहुंच जाता है, जिससे वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जाता है।
कब दिखती है बीमारी
काटे जाने के करीब 3-5 दिनों के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण दिखने लगते हैं। शरीर में बीमारी पनपने की मियाद 3 से 10 दिनों की भी हो सकती है।
इलाज -अगर मरीज को साधारण डेंगू बुखार है तो उसका इलाज व देखभाल घर पर की जा सकती है। -डॉक्टर की सलाह लेकर पैरासिटामोल (क्रोसिन आदि) ले सकते हैं। -एस्प्रिन (डिस्प्रिन आदि) बिल्कुल न लें। इनसे प्लेटलेट्स कम हो सकते हैं। -अगर बुखार 102 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा है तो मरीज के शरीर पर पानी की पट्टियां रखें। -सामान्य रूप से खाना देना जारी रखें। बुखार की हालत में शरीर को और ज्यादा खाने की जरूरत होती है।
-मरीज को आराम करने दें।

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