विश्व युद्ध के कारण दो बार (1942 और 1946) विश्व कप का आयोजन टालना पड़ा। 12 वर्ष बाद इस वैश्विक टूर्नामेंट की मेजबानी पहली बार ब्राजील को मिली। इसकी खास बात यह रही कि कई टीमों के इसमें शिरकत करने से मना करने के कारण एशिया से भारत को खेलने का निमंत्रण मिला पर जूतों ने खिलाड़ियों का सपना पूरा नहीं होने दिया।
यही एकमात्र मौका था, जब भारत इसमें भाग ले सकता था पर जूते नहीं होने के चलते ऐसा नहीं हो पाया। कभी एशियाई की सर्वश्रेष्ठ टीमों में शुमार रही भारतीय टीम कभी भी इस वैश्विक टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाई। भारत के अलावा तुर्की और स्कॉटलैंड ने भी अंतिम समय में भाग लेने से इनकार कर दिया।