पुणे- राज्य में सरकारी और स्थानीय निकायों के सभी माध्यमों के स्कूलों के लिए ’एडॉप्टेड स्कूल योजना’ लागू की जाएगी। इस योजना के क्रियान्वयन को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब स्कूल शिक्षा विभाग ने इस संबंध में सरकारी आदेश जारी कर दिया है कि दानदाता पांच या दस साल के लिए स्कूल को गोद ले सकता है। इसका मतलब अब सरकार के स्कूल धीरे धीरे निजीकरण की ओर कदम बढ़ रहे है। राज्य सरकार अथवा स्थानीय पालिकाओं,नगरपरिषद के स्कूलों को अब प्रायवेट हाथों में सौंपा जा रहा है।
परोपकारी व्यक्ति,संस्थाएं, एनप्रदेश के स्कूलों को गोद लेने की योजना,दानदाताओं की तलाशजीओ,कंपनियां ले सकती हैं गोद
इस योजना का मूल उद्देश्य परोपकारी व्यक्तियों, स्वैच्छिक संगठनों, कॉर्पोरेट कार्यालयों आदि के सहयोग से स्कूलों के लिए बुनियादी ढांचे और आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता को बढ़ाना है। इसमें समाज के परोपकारी व्यक्ति, एनजीओ, कंपनियां किसी विशेष स्कूल को गोद ले सकते हैं। इस विद्यालय की आवश्यकताओं के अनुसार उन्हें आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं की आपूर्ति की जा सकेगी। इसी प्रकार, अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण, भवनों की मरम्मत, रखरखाव और पेंटिंग की भी अनुमति होगी।
दान की रकम स्कूलों की श्रेणी ग्रुप पर आधारित
दत्तक विद्यालय योजना के तहत दान दो प्रकार से किया जा सकता है, सामान्य पितृत्व, नामकरण आधारित विशिष्ट पितृत्व। ’ए’ और ’बी’ श्रेणी के नगरपालिका स्कूलों के लिए, दान का मूल्य पांच साल की अवधि के लिए 2 करोड़ रुपये और दस साल की अवधि के लिए 3 करोड़ रुपये होगा। जबकि ’सी’ श्रेणी के नगरपालिका स्कूलों के लिए, यह मूल्य क्रमशः 1 करोड़ रुपये और 2 करोड़ रुपये है, और ’डी’ श्रेणी के नगरपालिका स्कूलों, नगर परिषदों और ग्रामीण स्कूलों के लिए, यह मूल्य 50 लाख रुपये और 1 करोड़ रुपये है। , क्रमशः। कुछ समय के लिए दिया जा सकता है। इस योजना में धन के रूप में दान न तो दिया जा सकता है और न ही स्वीकार किया जा सकता है। कॉर्पोरेट कार्यालय सीएसआर के माध्यम से ऐसा दान कर सकते हैं। यह स्पष्ट किया गया है कि दान निर्माण और विद्युत कार्य, समय के लिए आवश्यक शैक्षिक सामग्री, डिजिटल उपकरण, स्वास्थ्य सुविधाएं, वर्षा जल संचयन, सैनिटरी पैड मशीनों जैसी ढांचागत और भौतिक सुविधाओं के लिए वस्तुओं और सेवाओं के रूप में किया जा सकता है।
शिक्षा आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति
योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शिक्षा आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समन्वय समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति को एक करोड़ और उससे अधिक के प्रस्ताव सौंपे जायेंगे। जोनल स्तर पर नगर निगम, नगर पालिका, जिला परिषद के विद्यालयों के लिए क्रमशः आयुक्त, नगर निगम, संबंधित कलेक्टर, संबंधित मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद के स्तर पर समन्वय समितियां गठित की जाएंगी। समिति के पास एक करोड़ से कम के प्रस्तावों की जांच और अनुमोदन करने की शक्ति होगी।