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बैलगाडी स्पर्धा हमको बाप दादाओं से विरासत में मिली,महाराष्ट्र की पुरानी परंपरा-महेश लांडगे

पिंपरी-बहुप्रतिक्षित और बहुप्रलंबित तथा बैलगाडी प्रेमियों की भावना से जुडी बैलगाडी स्पर्धा को सुप्रिम कोर्ट ने आखिरकार मान्यता दी है। बैलगाडी स्पर्धा की लडाई कोर्ट में भोसरी विधानसभा के भाजपा अध्यक्ष महेश लांडगे ने मजबुती के साथ लडी। महेश लांडगे ने सुप्रिम कोर्ट के निर्णय पर हमारे संवाददाता से एक साक्षात्कार में कहा कि तात्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा अधिवेशन सत्र के दौरान कानून पारित किया था जिसके आधार पर हम केस जीतने में कामयाब रहे। 2014 के बाद से आज तक न्यायालयीन लडाई का सारा खर्च राज्य सरकार ने उठाया है।

बैलगाडी स्पर्धा हमारी बाप दादाओं के जमाने से चली आ रही महाराष्ट्र की पुरानी परंपरा है। पशुओं पर अत्याचार का जो कुछ प्राणी मित्र संगठना ने आरोप लगाया गया था,वह सुप्रिम कोर्ट तक चला पहुंचा। उस बारे में इतना ही कहूंगा कि बैल हमारे घर का एक सदस्य होते हैं। घर के सदस्य पर अत्याचार कोई भला कैसे कर सकता है? हमको न्याय देवता पर भरोसा था,न्याय बैलगाडी प्रेमियों के पक्ष में आया। किसानों में खुशी की लहर है। भविष्य में सारे नियमों को ध्यान में रखकर बैलगाडी स्पर्धा का आयोजन होगा। स्पर्धा को विश्वस्तरीय बनाने का प्रयास करेंगे। ऐसा विधायक महेश लांडगे ने कहा।

महेश लांडगे ने आगे कहा कि देवेंद्र फडणवीस जब मुख्यमंत्री थे उस समय मेरे नेतृत्व में एक शिष्टमंडल मिला था। मैंने कहा कि किसान कोर्ट की लडाई की फीस खर्च करने में असमर्थ है,आप हमारी मदद कीजिए। फडवणवीसजी ने तत्काल पशुसंवर्धन विभाग को आदेश जारी किया कि सारा खर्च विभाग उठाए। सरकार ने सबसे नामचीन वकील तुषार मेहता को यह केस सौंपा। कोर्ट ने इस खेल के लिए विभिन्न राज्यों को अपने अपने नियम बनाने का आदेश जारी किया है। खेल पर लगा प्रतिबंध हटा। महाराष्ट्र सरकार ने अधिवेशन सत्र में मजबुत कानून बनाकर कोर्ट को भेजा। जिस पर सुप्रिम कोर्ट ने निर्णय बैलगाडी स्पर्धा प्रेमियों के पक्ष में सुनाया।

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