पिंपरी – पवना बैंक के संस्थापक एवं वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक ज्ञानेश्वर लांडगे के नेतृत्व में पवना सहकारी बैंक का शासन पारदर्शी एवं स्वच्छ है। लेकिन, लगातार उन्हीं लोगों का प्रतिनिधित्व किया जाता है। पवना प्रगती पैनल ने आज अपना स्टैंड स्पष्ट करते हुए कहा कि हम घरानाशाही(वंशवाद) के विरुद्ध चुनाव लड रहे है। पत्रकार परिषद में विलास भोईर ने ऐसा कहा। अमर कापसे,दत्तात्रय दातीर पाटील,दिलीप नाणेकर(सभी सर्वसाधारण पुरुष उम्मीदवार) चंद्रकांत कांबले(अनुसुचित जाति) शोभा वाघेरे(सर्वसाधारण महिला) योगिता कलापुरे(सर्वसाधारण महिला) उम्मीदवार है। संजय कलापुरे, रमेश वाघेरे उपस्थित थे।
पवना बैंक की स्थापना बैंक के संस्थापक ज्ञानेश्वर लांडगे के नेतृत्व में हुई थी। इनका बडा योगदान है। लेकिन हमारा असली विरोध उन संचालकों से है जो निष्क्रिय है। जो अपने और अपने सगे संबंधी के स्वार्थ और हितों के लिए काम करते हैं। हम चाहते थे कि चुनाव निर्विरोध हो। हमारे सात में से दो लोगों को पवना बैंक के संचालक मंडल में शामिल किया जाए। लेकिन हमारा अनुरोध ठूकराया गया। सालों साल से चली आ रही घरानाशाही(वंशवाद) परंपरा को खत्म करने और बैंक में सक्रियता से काम करने वाले संचालकों के हाथ में कमान सौंपने के इरादे से पवना प्रगती पैनल चुनावी मैदान में है। हम पर हटने का दबाव बनाया गया। हालांकि, ज्ञानेश्वर लांडगे ने हमें चुनाव न लडने के लिए कभी नहीं दबाव डाला और नही इस बारे में कोई चर्चा की है। चुनाव प्रचार के दौरान बैंक के सभासद मतदाताओं के रुख से लग रहा है कि इस बार पवना बैंक में परिवर्तन होने जा रहा है।