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लालू-नीतिश के चहेते आरएस भट्टी बिहार के नए डीजीपी

पटना- 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी राजविंदर सिंह भट्टी (आरएस भट्टी) को बिहार का नया डीजीपी बनाया गया है। रविवार को बिहार सरकार की तरफ से अधिसूचना जारी कर दी गई है। बिहार पुलिस में पहले से ये डीजी स्तर पर प्रमोट किए जा चुके हैं। इसके बाद ही उन्हें बिहार स्पेशल आर्म्ड पुलिस (बीएसएपी) का पहला डीजी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बनाया था। अब मुख्यमंत्री ने इनके हाथ में पूरे बिहार पुलिस की कमान सौंप दी है। राज्य के बिगड़ते कानून व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए इन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।

 

फिलहाल राजविंदर सिंह भट्टी (आरएस भट्टी) केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं। 9 सितंबर 2021 को वो बिहार से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाए गए थे। इसके बाद उन्हें बीएसएफ के पूर्वी कमांड के डीजी के पद पर तैनात किया गया था। वर्तमान में भी इसी पद पर हैं। बिहार के नए डीजीपी बनाए जाने के बाद इनका कार्यकाल भी काफी लंबा है। क्योंकि, इनके रिटायर होने की तारीख 30 सितंबर 2025 है।

 

यूपीएससी से तीन नामों की आई थी लिस्ट

वर्तमान डीजीपी संजीव कुमार सिंघल का कार्यकाल 19 दिसंबर को खत्म हो रहा है। सोमवार को रिटायर कर जाएंगे। पिछले कई दिनों से बिहार सरकार नए डीजीपी की तलाश चल रही थी। बिहार सरकार की तरफ से नए डीजीपी के लिए कई नाम यूपीएससी को भेजे गए थे। पर वहां से तीन नाम फाइनल करके भेजे गए। जिसमें इस पद के लिए रेस में सीनियरिटी के हिसाब से 1988 बैच के आईपीएस मनमोहन सिंह का था, जो 26 फरवरी 2019 से ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं।

 

इनके बाद दूसरा नाम 1989 बैच के खझड व बिहार पुलिस में डीजी ट्रेनिंग आलोक राज का था। फिर लिस्ट में तीसरा महत्वपूर्ण नाम राजविंदर सिंह भट्टी का था और मुख्यमंत्री ने अपनी मुहर इन्हीं के नाम पर लगाई।

 

जब केजे राव ने एयरपोर्ट पर कहा था- मुझे शहाबुद्दीन चाहिए

राजविंदर सिंह भट्टी मूल रूप से पंजाब के रहने वाले हैं। पर इनका कैडर बिहार है। शुरुआत से ही इनकी छवि बेहद कड़क पुलिस अफसर की रही है। जितनी विनम्रता के साथ ये आम लोगों से पेश आते हैं, अपराधियों के साथ उतने ही कड़क बर्ताव करते हैं। काम में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अफसर भी इन्हें पसंद नहीं हैं। साल 2005 में बिहार में विधानसभा के दो चुनाव हुए थे। पहला चुनाव 2005 के फरवरी महीने में हुआ था। इस चुनाव में सीवान में पूर्व सांसद व राजद नेता मो. शाहबुद्दीन का बड़ा असर दिखा था।

 

हालांकि, उस चुनाव का रिजल्ट ऐसा था कि बिहार में सरकार किसी की नहीं बनी थी। लेकिन, जब उसी साल अक्टूबर में दोबारा विधानसभा चुनाव हुए तो इलेक्शन कमीशन ने केजे राव को बिहार का पर्यवेक्षक बनाया था। तब निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए केजे राव ने राजविंदर सिंह भट्टी को खासतौर पर सीवान के लिए मांग कर दी। उस वक्त ये कड़क अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में डीआईजी थे। विशेष मांग पर इन्हें बिहार लाया गया। सीवान में एसपी का पोस्ट खत्म कर उस वक्त बतौर डीआईजी इन्हें भेजा गया। लेकिन, वहां भेजने से पहले पटना एयरपोर्ट पर केजे राव ने राजविंदर सिंह भट्टी से स्पष्ट कहा था कि मुझे शहाबुद्दीन चाहिए। सिवान पहुंचने के 15वें दिन ही एक स्पेशल टीम बनाकर इन्होंने वहां के आतंक कहे जाने वाले मो. शहाबुद्दीन को गिरफ्तार किया था।

 

जहानाबाद में रणवीर सेना से हुई थी पहली मुठभेड़

बिहार में पोस्टिंग के बाद राजविंदर सिंह भट्टी को कई ऐसे जिलों का एसपी बनाया गया, जहां कुख्यात अपराधियों की तूती बोलती थी। वो एक ऐसा दौर था, जब नक्सलियों के साथ-साथ रणवीर सेना का आतंक था। उस वक्त बिहार और झारखंड एक थे। पटना में सिटी एसपी रह चुके हैं। जब इन्हें जहानाबाद का एसपी बनाया गया तो इनकी पहली मुठभेड़ रणवीर सेना से हुई थी। इसके एक सदस्य को इन्होंने मार गिराया था।

 

छोटा राजन और प्रभुनाथ सिंह पर भी कसा शिकंजा

जब इनकी पोस्टिंग बोकारो (अब झारखंड में) में बतौर एसपी हुई थी, तब उस दौरान वहां छोटा राजन नाम के एक कुख्यात अपराधी का दबदबा था। इस कुख्यात को वो गोवा से गिरफ्तार कर बोकारो लाए थे। इन सब के अलावा पूर्व सांसद व दबंग नेता प्रभुनाथ सिंह पर भी इन्होंने अपना शिकंजा कसा था। बाहुबली अनंत सिंह के बड़े भाई व पूर्व विधायक दिलीप कुमार सिंह को भी इन्होंने बख्शा नहीं था।

 

रिश्तेदारों का मिजाज ठीक कराने लालू ले गए थे गोपालगंज

बिहार के जिस दौर को जंगल राज कहा जाता है, उस दरम्यान राजविंदर सिंह भट्टी की पोस्टिंग जिस जिले में हुई, वहां के खराब लॉ एंड ऑर्डर को इन्होंने दुरूस्त कर दिया था। यही वजह है कि तब पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने भी अपने कुछ वैसे रिश्तेदारों के बिगड़े मिजाज को ठीक कराने का एक तरीका सोंचा। इसके लिए राजविंदर सिंह भट्टी को उस वक्त गोपालगंज का डझ बनाया गया। लालू प्रसाद उन्हें अपने साथ गोपालगंज ले गए। इसके बाद कानूनी हिसाब से पूर्व मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों को ठीक किया गया।

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